लोकसभा में उठा यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरा का मामला
लोकसभा में आज भोपाल सांसद आलोक शर्मा ने भोपाल की यूनियन कार्बाइड परिसर में 40 साल से पडे़ जहरीले कचरे का निष्पादन ना होने का मामला उठाया। लोकसभा में शून्यकाल के दौरान आलोक शर्मा ने कहा- मैंने 2-3 दिसंबर की रात को हुई दुनिया की सबसे भीषणतम त्रासदी को झेला है। ये देश का महत्वपूर्ण मुद्दा है।
आलोक शर्मा बोले- मैंने मौत का मंजर अपनी आंखों से देखा
शून्य काल में आलोक शर्मा ने कहा- मैं यूनियन कार्बाइड की भीषणतम त्रासदी की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं। यह भोपाल ही नहीं देश का महत्वपूर्ण मुद्दा है। 2 दिसंबर 1984 की रात 1:00 बजे पूरा भोपाल गहरी नींद में सो रहा था और सोते समय अचानक लोगों को खांसी होने लगी और इस घटना में हजारों लोग मौत की आगोश में सो गए थे। उस मौत के मंजर को मैंने अपनी आंखों से देखा है।
केन्द्र ने एक साल पहले 126 करोड दिए फिर भी कचरे का निष्पादन नहीं हो पाया
आलोक शर्मा ने कहा- इस भीषणतम त्रासदी को 40 वर्ष हो गए हैं लेकिन आज भी वहां पर मौजूद जहरीला कचरा का निष्पादन नहीं हो पाया है आज भी वहां कीटनाशक दवाइयां बनाने वाली बहुराष्ट्रीय अमेरिकन कंपनी यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड का 337 मेट्रिक टन कचरा निष्पादन के लिए बचा हुआ है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में गठित ओवरसाइड कमेटी ने 126 करोड रुपए की धनराशि यूनियन कार्बाइड के कचरे के निष्पादन के लिए मार्च 2023 में उपलब्ध करा दी गई 1 साल से ज्यादा समय बीत गया। लेकिन कचरे का निष्पादन नहीं हो पाया। मंत्री जी जल्दी यह निर्देश दें कि 126 करोड रुपए की धनराशि कचरा निष्पादन के लिए उपलब्ध करा दी गई है तो वहां के कचरे का शीघ्र निष्पादन होना चाहिए।
एजेंसी को अगस्त में शिफ्ट करना है जहरीला कचरा
मप्र के गैस राहत एवं पुनर्वास विभाग के अफसरों ने बताया कि यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निष्पादन के लिए टेंडर करके एजेंसी फाइनल कर दी गई है। जिस एजेंसी को इस कचरे को इंदौर के पास डिस्पोजल करना है उसे अगस्त में यह काम करना है। लेकिन, इंदौर में जिस जगह यह कचरा ट्रांसफर होना है वहां के स्थानीय रहवासी विरोध कर रहे हैं।