नहीं थम रहा मध्य प्रदेश परिवहन में भ्रष्टाचार का खेल !
मध्य प्रदेश में परिवहन विभाग के भ्रष्ट कर्मचारियों व्दारा करोड़ो रुपये रोज के राजस्व का चूना सरकार को लगाया जा रहा है। परिवहन विभाग के टोल नाकों पर अवैध उगाही का आलम यह हैं कि अधिकांश टोल नाको और बैरियर्स पर गैर सरकारी लोगों व्दारा वसूली की जा रही है। परिवहन विभाग के भ्रष्ट कर्मचारी बाकायदा बोला लगा कर टोल बैरियर की खरीद फरोख्त कर रहे है। राज्य लोकायुक्त, मुख्यमंत्री एवं एंटी करप्शन ब्यूरो के पास परिवहन विभाग के कर्मचारियों का हजारों शिकायतें लंबित पड़ी है। माना जा रहा हैं कि भ्रष्टाचार का सारा खेल परिवहन आयुक्त की शह पर उनकी नाक के नीचे चल रहा है……
मध्य प्रदेश में सरकार बदलने के बाद एक बार फिर परिवहन विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों की पौ बारह होनी शुरू हो गई है। ताजा मामला महाभ्रष्ट परिवहन निरक्षक वीरेश तुगराम का है। न्यूज क्राइम फाइल को सूत्रों से मिली पुख्ता जानकारी के मुताबिक वीरेश तुगराम परिवहन आयुक्त मुकेश कुमार जैन की नाक का बाल बने हुए है। हालात यह हैं कि वीरेश तुगराम ने प्रदेश के सबसे राजस्व देने वाले टोल नाकों पर अपना अधिपत्य कर लिया है। परिवहन आयुक्त ने तुगराम को सेंधवा और खवासा टोल नाके का ठेका सौंप रखा है। हालात यह हैं कि वीरेश तुगराम ने मध्य प्रदेश के आधे दर्जन से ज्यादा टोल नाकों पर अपने चहते कर्मचारियों की तैनाती परिवहन विभाग के अधिकारियों से कह कर करवा ली है क्योंकि इन्हीं टोलनाकों से सबसे ज्यादा अवैध कमाई होती है। मध्य प्रदेश परिवहन विभाग में वीरेश तुगराम इतना शक्तिशाली है कि पिछली कांग्रेसी सरकार और वर्तमान में भाजपा की सरकार में भी उसका सिक्का पहले की तरह की चलता रहा।
परिवहन विभाग के एक अधिकारी न्यूज क्राइम फाइल ने नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर बताते हैं कि वीरेश तुगराम ने परिवहन आयुक्त को प्रतिमाह एक निश्चित रकम पहुंचाने का वादा करके मनचाहे नाके हथिया लिए है। परिवहन आयुक्त तुगराम पर आंख बंद करके विश्वास करते है जिसका कारण यह हैं कि तुगराम की अवैध संपत्तियों के खिलाफ परिवहन विभाग को एक दर्जन से अधिक सूचना के अधिकार में जानकारी दी गई मगर उसका बाल भी बांका नहीं हुआ। परिवहन विभाग के एक अधिकारी बताते हैं कि तुगराम की हौशंगाबाद से लेकर भोपाल इंदौर, सीवनी, कटनी नीमच में अपार संपत्तियां है जिनके बारे में परिवहन विभाग के सभी छोटे बड़े अधिकारियों को पता है मगर कोई उसके खिलाफ कार्यवाही नहीं करता।
मध्य प्रदेश में टोल नाकों पर जबरदस्त उगाही का खेल चलता है। प्रदेश के टोल नाकों से प्रति दिन करोड़ो रुपया अवैध रुप से वसूला जाता है जिसे अधिकारियों और अन्य प्रभावशाली लोगों तक वीरेश तुगराम ही पहुंचाने का काम करता है। परिवहन विभाग में उसके खिलाफ लंबित भ्रष्टाचार के अनेक मामलों को आयुक्त स्तर पर रोका गया है। काबिलेगौर हैं कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के समय टोल नाकों पर अवैध उगाही का मामला समाचार पत्रों में प्रमुखता के साथ प्रकाशित हुआ था जिसके बाद मुख्यमंत्री कमल नाथ ने जांच कराने की बात कही थी। मगर सरकार के जाते ही सब ठंडे बस्ते के हवाले कर दिया गया। प्रदेश में भाजपा की शिवराज सिंह सरकार के गठन के बाद कांग्रेस से भाजपा में आए एक शक्तिशाली नेता ने मुकेश कुमार जैन को परिवहन आयुक्त बनवा दिया। मुकेश कुमार जैन ग्वालियर के एक शक्तिशाली नेता के करीबी आदमी है जिन्हें परिवहन का जिम्मा सौंपा गया है। वहीं शिवराज सिंह सरकार ने अपने पसंददीदा अधिकारी अरविंद कुमार सक्सेना को अपर परिवहन आयुक्त बना कर मुकेश कुमार जैन की कारगुजारियों पर निगाह रखने का काम सौंपा हैं। मगर लाख कोशिश के बाद भी मुकेश कुमार जैन वीरेश तुगराम जैसे भ्रष्ट कमर्चारियों को परिवहन विभाग के अन्य कार्यालय से संबध्द नहीं कर पा रहे हैं।
मध्य प्रदेश में टोलनाको पर परिवहन विभाग ने ज्यादातर निजी लोगों को पैसा उगाही के लिए रखा हुआ है। यह निजी लोग अपराधी चरित्र के है जो ट्रकों एवं निजी बस स्वामियों को धमका कर निर्धारित तयशुदा धनराशि से अधिक पैसा वसूलते है और बहुत सी निजी गाड़ियों को टोल पार करने के टोकन देकर पैसा एकत्र करने का काम करते है। न्यूज क्राइम फाइल को मिली जानकारी के मुताबिक वीरेश तुगराम ने सेंधवा खवासा और अन्य टोल नाकों पर निजी कर्मचारियों को तैनात कर रखा है जो हौशंगाबाद, सिवनी और कटनी के बताएं जाते है। परिवहन विभाग के एक अधिकारी बताते हैं कि एक निजी वाहन से वीरेश तुगराम अपने साथियों के साथ टोल नाकों की अवैध कमाई को प्रति सप्ताह स्वयं भोपाल एवं ग्वालियर पहुंचाने का काम करता है। मध्य प्रदेश में चांदपुर, गोपालपुर, मठकुली, लेबड़, मालथौन, मानपुर, दमोह, घाटा बिल्लौद, घिल्लौड़, सिरोंज, एदलाबाद, अमरकंटक, उमरिया, खंडवा, बड़नगर, पिपरिया, डगरई, राहतगढ़, गौंदिया, सीतामऊ अलोनिया, जैसे टोल नाके है जहां फास्टैग की अनिवार्यता कोई मायने नहीं रखती है। भारत सरकार ने देशभर के टोल नाकों पर इलेक्ट्रानिक टोल कलेक्शन सिस्टम लगाए जाने के आदेश दिए थे मगर मध्य प्रदेश सड़क परिवहन विभाग भ्रष्टाचार के कारण से इस तरह की किसी भी कोशिश पर काम नही करना चाहता। राज्य के कई टोल प्लाजा पर आए दिन विवाद होते रहते है मगर परिवहन विभाग के अधिकारियों के कानों पर जूं भी नहीं रेंगती।
हालात यह हैं कि राज्य से गुजरने वाले बसों एवं ट्रकों के स्वामियों ने परिवहन नाकों पर हो रही लूट के बारे में केंद्रीय परिवहन मंत्री नीतिन गडकरी को लिखित में शिकायत भी की और केंद्रीय परिवहन विभाग की वेबसाइट पर भी शिकायत दर्ज कराई मगर मध्य प्रदेश तो मध्य प्रदेश है जहां मुकेश कुमार जैन जैसे परिवहन आयुक्त हो तो वहां टोल नाकों पर सुचारू एवं पारदर्शी व्यवस्था कायम हो ही नहीं सकती। मुकेश कुमार जैसे अधिकारियों का वृहदहस्त वीरेश तुगराम जैसे महाभष्ट परिवहन निरिक्षक के कंधे पर है जिसके कारण वह समूचे मध्य प्रदेश परिवहन विभाग का मालिक बना हुआ है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता न्यूज क्राइम फाइल से कहते हैं कि परिवहन विभाग में चल रहे भ्रष्टाचार के इस खेल को वह विधानसभा के मानसून सत्र में प्रमुखता से उठाएंगे और प्रदेश सरकार को प्राप्त होने वाले राजस्व में भ्रष्ट अधिकारियों के बंदरबांट के मामले को खुलासा करेंगे
परिवहन विभाग के पांच बेलगाम महाभ्रष्ट कर्मचारी
मध्य प्रदेश परिवहन आयुक्त मुकेश जैन पर मानों किसी भी समाचार अथवा खबर का कोई असर नहीं होता। परिवहन विभाग के पांच महाभ्रष्ट कर्मचारियों की कारगुजारियों का कच्चा चिट्टा लगातार मीडिया के विभिन्न माध्यमों में प्रकाशित होता रहता है। मगर मुकेश जैन इन भ्रष्ट कर्मचारियों पर कोई कार्यवाही नहीं करते। ताजा मामाला एक बार फिर परिवहन विभाग के दागदार टीआई जगदीश मीणा से जुड़ा है। जगदीश मीणा का हाल ही में एक ऑडियो क्लिप वायरल हुआ जिसमें वह भाजपा के एक नेता से खुलेआम कह रहा है कि उसे सेंधवा टोलनाका दिलवा दो वह हर साल उन्हें 14 करोड़ रुपया देगा। अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जो व्यक्ति अपनी पोस्टिंग के लिए 14 करोड़ रुपये साल की रिश्वत दे सकता है वह उस टोल नाके से कितना पैसा अवैध रुप से कमाएंगा और कितना सरकार के राजस्व खाते में जमा कराएगा। यह वही जगदीश मीणा है जो कांग्रेस शासन में खुलेआम कांग्रेस के उम्मीदवार के प्रचार में पूरा ताकत झोक देता है और कांग्रेस क प्रत्याक्षी को चुनाव में जिताने के लिए पैसा पानी की तरह खर्च करता है। जगदीश मीणा की राजनीतिक हसरत किसी से छिपी नहीं है। वह एक साल के भीतर परिवहन विभाग से रिटार्यड हो रहा है लिहाजा उसने अब भाजपा के नेताओं के दरवाजे पर शीष झुकाना शुरू कर दिया है कि उसे किसी भी हाल में सेंधवा टोल नाके पर नियुक्त करवा दो। जगदीश मीणा सरकारी सेवा से रिटार्यड होने के बाद कांग्रेस से विधायक का चुनाव लड़ने वाला है। कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह के साथ उसके दोस्ताना संबंध है और वह खुलेआम परिवहन विभाग के कर्मचारियों को धमकी देने के अंदाज में कहता हैं कि कांग्रेस के शासन में वह विधायक बनेगा फिर मंत्री बन कर परिवहन विभाग का जिम्मा संभालेगा। एक अदने से कर्मचारी की इतनी हसरत है कि वह खुलेआम कांग्रेस के चुनाव लड़ने की बात कहता है। जगदीश मीणा पर परविहन आयुक्त मुकेश जैन की विशेष कृपा है तभी तो आज तक उसका बाल भी बांका नहीं हुआ। चाहे उसके खिलाफ लोकायुक्त, और परिवहन विभाग में कितनी ही जांच क्यों न चल रही हो।
इसी तरह से परिवहन विभाग के एक अन्य कर्मचारी वीरेश तुगराम है जिनकी संपत्तियों को लोकायुक्त पुलिस मध्य प्रदेश में खंगाल रही है। अगर इनके खिलाफ कोई कर्मचारी आवाज उठाता है तो यह महाशय अपने को दलित आदिवासी कह कर साफ बचने की कोशिस करते है। इस तरह परिवहन विभाग के अलीम खान है जिनके पास भोपाल और मध्य प्रदेश के दूसरे शहरों में बेहिसाब संपत्तियां है। अलीम खान का इस वक्त परिवहन विभाग में सिक्का चल रहा है। उसके खिलाफ लोकायुक्त सहित भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो तक में शिकायतें लंबित है मगर किसी की इतनी हिम्मत नहीं कि उसका कुछ बिगाड़ सके। इसी तरह परिवहन विभाग में बाबू से टीआई बने वीरेन यादव ने भी देखते ही देखते संपत्तियों की लंबी बाढ़ खड़ी कर ली है। यह केवल मंध्य प्रदेश परिवहन विभाग में ही हो सकता है कि कोई नीचले दर्जे का बाबू परिवहन आयुक्त से सीधी साठगांठ करते टीआई के पद पर पहुंच सकता है। वीरेन सिंह यादव के खिलाफ उसके की विभाग के कर्मचारियों की शिकायतें लोकायुक्त के पास लंबित पड़ी है।
कौन है यह संजय श्रीवास्तव जो करता है उगाही
मध्य प्रदेश परिवहन विभाग में इन दिनों संजय श्रीवास्तव नाम के व्यक्ति का सिक्का चल रहा है। राज्य में परिवहन के सभी टोलनाकों पर उसके ही व्यक्ति ट्रकों से अवैध वसूली का काम कर रहे है। न्यूज क्राइम फाइल को मिली जानकारी के मुताबित संजय श्रीवास्तव सागर का रहने वाला एक पुराना कांग्रेसी कार्यकर्ता है। कांग्रेस से भाजपा में पधारे परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का वह खास व्यक्ति है। परिवहन विभाग के एक बड़े अधिकारी नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर न्यूज क्राइम फाइल को बताते हैं कि परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने स्वयं परिवहन विभाग के आला अधिकारियों से बता रखा हैं कि संजय श्रीवास्तव उनका व्यक्ति है अगर यह कोई काम कहें तो फौरन से पेस्तर हो जाना चाहिए। संजय श्रीवास्तव ही तय करता हैं कि मध्य प्रदेश में किस टोलनाके पर कौन कर्मचारी कितने दिन तक रहेगा और प्रतिदिन उन्हें कितना माल देगा। मध्य प्रदेश की सड़कों पर दौड़ने वाली बेलगाम डग्गामार बसें, डिलक्स कोच बसे और लंबी दूरी की बसें जो बिना परमिट के एक जिले से दूसरे जिलों मे जा रही है उनके पास संजय श्रीवास्तव का एक विशेष पास रहता है जिसे वह किसी भी परिवहन अधिकारी को दिखाकर आसानी से निकल जाते है। परिवहन विभाग के सूत्रों का कहना हैं कि गोविंद सिंह राजपूत को हर माह एक निश्चित रकम संजय श्रीवास्तव व्दारा पहुंचाई जाती है। परिवहन मंत्री का खास सिपाही होने के कारण उसका विभाग में खासा खौफ है। बताते हैं कि संजय श्रीवास्तव के पास भोपाल, सागर, इंदौर और नोएडा में बड़ी संपत्तियां है। परिवहन विभाग के अधिकारी कहते हैं कि वह उन्हें फोन पर इस तरह से आदेश देता है कि वह चाह कर कुछ नहीं कर पाते। ड्राइविंग लाइसेंस, वाहनों की फिटनेस, वाहनों के ट्रांस्फर से लेकर अवैध और नकली आरसी सब का काम संजय श्रीवास्तव के कहने पर आसानी से हो जाता है। परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के साथ अक्सर संजय श्रीवास्तव को देखा जा सकता है। मगर राज्य के किसी भी वरिष्ठ अधिकारी मंत्री के साथ इस तरह के दागदार व्यक्ति के रहने पर कोई सवाल कभी खड़ा नहीं किया। मध्य प्रदेश के कई आरटीआई कार्यकर्ता अब संजय श्रीवास्तव से जुड़ी जानकारियों को विभिन्न माध्यमों से एकत्र कर रहे है ताकि उसका काला चिट्ठा जनता के सामने उजागर हो सके।
शिवराज सिंह कर सकते है कभी की बड़ी कार्यवाही
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के पोर्टल पर अगर किसी विभाग की सबसे ज्यादा शिकायतें आती है तो वह है परिवहन विभाग। राज्य में अगर किसी विभाग के बारे में सबसे ज्यादा सूचना अधिकार कानून के तहत जानकारी मांगी जाती है तो वह है परिवहन विभाग। राज्य लाकायुक्त के पास अगर सबसे ज्यादा मामले लंबित है तो वह है परिवहन से जुड़े मामले। राज्य में अगर किसी विभाग के कर्मचारियों के पास अकूत बेनामी संपत्तियों का भंडार है तो वह है परिवहन विभाग। मगर न तो मध्य प्रदेश के परिवहन आयुक्त मुकेश कुमार जैन को इन बातों से कोई फर्क पड़ता है और ना ही परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को इन बातों की परवाह है। दरअसल मध्य प्रदेश परिवहन विभाग पूरी तरह से बेलगाम हो चुका है। राज्य सरकार को प्रतिदिन करोड़ों रुपयों का चूना लगाय जा रहा है मगर किसी भी अधिकारी के कानों पर जूं तक नहीं रैंग रही। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दावा करते हैं कि वह राज्य में किसी भी तरह के माफिया को बर्दास्त नहीं करेंगे। मगर चाह कर भी वह परिवहन विभाग के माफिया को खत्म नहीं कर पा रहे हैं।
मध्य प्रदेश में बड़े बिल्डरों और कारोबारियों के यहां आयकर, जीएसटी और ईडी के छाप पड़ रहे है मगर परिवहन विभाग के कर्मचारियों की अवैध संपत्ति के बारे में किसी को खबर नहीं है। राज्य में समाचार पत्रों, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और संचार के विभिन्न साधनों के माध्य़म से लगातार इस बात की जानकारी उजागर हो रही है कि परिवहन विभाग के अदने से कर्मचारियों ने अपनी आय से एक लाख गुणा ज्यादा संपत्ति कैसे खड़ी कर ली। सूचना अधिकार कानून के तहत बहुत से कार्यकर्ताओं के पास परिवहन विभाग से जुड़े अधिकारियों एवं कर्मचारियों के बारे में जानकारियों का संकलन है मगर फिर भी सरकार उनके खिलाफ कोई कदम नहीं उठा रही है। न्यूज क्राइम फाइल ने इस गोरखधंधे की तरफ जब एक वरिष्ठ भाजपा नेता का ध्यान दिलाया तो उन्होंने कहा कि शिवराज सिंह चौहान कभी भी परिवहन विभाग के माफिया की कमर तोड सकते है उनके पास सारी रिपोर्ट है यह भी हो सकता है कि परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का विभाग बदल दिया जाए क्य़ोंकि उनके खिलाफ भाजपा के शीर्ष नेता मुख्यमंत्री से शिकायत कर चुके हैं। मध्य प्रदेश में रेत, शराब और लकड़ी के अवैध माफिया के बाद परिवहन माफिया सबसे ज्यादा सक्रिय है जिसे विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों का खुला आश्रय प्राप्त हैं। सेंटर फॉर मीडिया की इंडिया करप्शन स्टडी में भी मध्य प्रदेश परिवहन विभाग के भ्रष्टाचार को अव्वल नंबर पर बताया गया।