भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए बने सम्भावना ट्रस्ट के मरीजों और कर्मचारियों के अनिश्चितकालीन धरने में अब पीड़ितों के संगठनों के नेता भी शामिल हो गए हैं। गुरुवार को यूनियन कार्बाइड जहर पीड़ित इलाज अधिकार मोर्चा ने सम्भावना ट्रस्ट क्लिनिक के परिसर में धरना दिया। भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशन भोगी संघर्ष मोर्चा भी इसमें शामिल रहा।
फंड की कमी का हवाला देते हुए 1 जनवरी से ट्रस्ट ने क्लिनिक बंद कर दिया। इसमें 37 हजार गैस पीड़ित रजिस्टर्ड हैं। ट्रस्ट का कहना है कि उनका रजिस्ट्रेशन गलत तरीके से रद्द कर दिया गया। इसके रिन्यूअल की फाइल एफसीआरए (फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेशन एक्ट) के पास अटकी है। इससे उन्हें विदेशी फंड नहीं मिल रहा। पीड़ितों के इलाज में समस्या आ रही है।
संगठन नेता बोले- यह यूका के जहर से पीड़ितों का संघर्ष
भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशन भोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव, इलाज अधिकार मोर्चा के समर्थन में धरने में शामिल हुए। उन्होंने कहा, ‘यह संघर्ष केवल सम्भावना के मरीजों और कर्मचारियों का नहीं है, बल्कि यह भोपाल में यूनियन कार्बाइड के जहर से पीड़ित सभी लोगों का संघर्ष है।’
उन्होंने कहा, ‘पिछले 28 साल में सम्भावना क्लिनिक के काम ने न केवल हादसे की वजह से बीमार लोगों को स्थाई राहत प्रदान की है, बल्कि गैस पीड़ितों में देर से प्रकट होने वाली बीमारियों और पीड़ितों की अगली पीढ़ी के स्वास्थ्य पर जहरीली गैस के दुष्प्रभाव को भी उजागर किया है।’

मरीज बोले- सम्भावना में अच्छा व्यवहार होता, सरकारी अस्पतालों में इससे अलग सम्भावना क्लिनिक को पर्याप्त फंड के साथ फिर से शुरू कराने के लिए कर्मचारियों के साथ मरीज भी धरने पर बैठे हैं। 27 साल से क्लिनिक में इलाज करा रहीं रुखसाना ने कहा, ‘सम्भावना क्लिनिक में हमारे साथ प्यार और सम्मान से व्यवहार किया जाता है, जबकि सरकारी अस्पतालों में इससे बिल्कुल अलग होता है।’ उन्होंने कहा, ‘सम्भावना क्लिनिक कल से बंद है। यह भोपाल हादसे के पीड़ितों के लिए प्रभावी इलाज का एकमात्र स्थान है।’

क्लिनिक के दोबारा रजिस्ट्रेशन का आवेदन दो साल से लंबित सम्भावना ट्रस्ट के कर्मचारियों का कहना है क्लिनिक का रजिस्ट्रेशन अक्टूबर 2019 में गलत तरीके से रद्द कर दिया गया था। इस वजह से उन्हें विदेशी फंड नहीं आ रहा। ट्रस्ट के कर्मचारी सतीनाथ षड़ंगी ने बताया कि सम्भावना ट्रस्ट ने 2 फरवरी, 2023 को एफसीआरए के तहत दोबारा रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन दायर किया था। गृह मंत्रालय पोर्टल 90 दिन के अंदर आवेदन पर निर्णय लेने का वादा करता है। हालांकि, लगभग दो साल हो गए हैं और गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने अभी तक सम्भावना के आवेदन पर निर्णय नहीं लिया है।
उन्होंने बताया कि इलाज अधिकार मोर्चा की ओर से गृह मंत्री को शांतिपूर्ण विरोध के बारे में सूचित कर दिया है। वे अब तक भेजे गए दो पत्रों के जवाब का इंतजार कर रहे हैं।
