मध्यप्रदेश संविदा आउटसोर्स स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने मंगलवार को अपने चरणबद्ध आंदोलन के तहत राजधानी में प्रदर्शन किया। दोपहर 2:30 बजे 5 नंबर बस स्टॉप स्थित पार्क में सैकड़ों स्वास्थ्यकर्मी एकत्रित हुए।
उन्होंने अपने खून से प्रधानमंत्री के नाम पत्र लिखा। पत्र में उन्होंने मांग की कि प्रदेश सरकार ने अब तक आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए कोई ठोस नीति तय नहीं की है। जिससे यह वर्ग शोषण का शिकार हो रहा है।
प्रदेश अध्यक्ष कोमल सिंह ने बताया
आउटसोर्स स्वास्थ्यकर्मियों को न तो समय पर वेतन मिल रहा है और न ही श्रम विभाग द्वारा तय न्यूनतम वेतन दरों के अनुसार भुगतान किया जा रहा है। ठेकेदारों द्वारा पीएफ की राशि भी समय पर जमा नहीं की जा रही।
11 माह से अटका वेतन, हालात गंभीर कोमल सिंह ने बताया कि श्योपुर जिले में 11 माह से वेतन अटका है, वहीं अन्य कई जिलों में भी हालात गंभीर हैं। उन्होंने कहा कि ये कर्मचारी 10 से 12 घंटे तक सेवाएं देते हैं और कोविड काल से लेकर आज तक स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ बने हुए हैं।
शासन और विभागीय अधिकारी उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। कई कर्मचारी अपने परिवारों के भरण-पोषण के लिए रोजी-रोटी तक के मोहताज हो गए हैं।

20 सितंबर तक खून से लिखेंगे पत्र संघ ने घोषणा की है कि 15 से 20 सितंबर तक प्रदेशभर के शासकीय अस्पतालों में तैनात आउटसोर्स स्वास्थ्यकर्मी इसी तरह अपने खून से प्रधानमंत्री के नाम पत्र लिखकर अपनी पीड़ा जताएंगे। कर्मचारियों का कहना है कि यदि जल्द ही आउटसोर्स नीति नहीं बनाई गई और शोषण की व्यवस्था पर रोक नहीं लगी तो आंदोलन और उग्र रूप लेगा।