2003 के शराब ठेका फर्जीवाड़ा मामले में आबकारी विभाग के सेवानिवृत्त उपायुक्त विनोद रघुवंशी को शाहपुरा पुलिस ने शुक्रवार को उनके निवास से गिरफ्तार कर लिया है। उनके खिलाफ कोर्ट ने वारंट जारी किया था। उन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा। भोपाल जिला कोर्ट ने 7 जुलाई 2025 को उन्हें चार साल की सजा सुनाई थी।
भोपाल की जिला अदालत ने उन्हें शराब ठेका फर्जीवाड़े के मामले में दोषी पाया था। उन्होंने एक फर्म को फायदा पहुंचाने के लिए रिकॉर्ड में छेड़छाड़ और पार्टनरशिप डीड में हेरफेर की थी, जिससे एक पार्टनर को फर्म से बाहर कर दिया गया था।
2023 में सजा के बाद अपील में गए थे
2023 में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने विनोद को तीन साल की सजा सुनाई थी, जिसके बाद यह मामला अपील में गया और 2025 में उन्हें चार साल की सजा सुनाई गई। फर्जीवाड़ा के समय रघुवंशी जिला आबकारी अधिकारी थे।
धारा 391 का जिक्र करते हुए याचिका खारिज
कोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 391 का हवाला देते हुए कहा कि अपीलीय अदालत को न्याय सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त गवाह बुलाने का अधिकार है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं लगता कि रघुवंशी को सबूतों की जानकारी नहीं थी। 2023 में इसलिए, हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया था।
अब समझते हैं पूरा मामला
फरियादी अजय अरोरा ने आरोपी के खिलाफ प्राइवेट कंप्लेंट दायर की थी। दरअसल, 5 मार्च 2002 को अजय अरोरा ने अशोक ट्रेडर्स फर्म में हिस्सेदारी ली थी और पार्टनरशिप डीड तैयार हुई थी। वह 18 प्रतिशत के हिस्सेदार थे। 6 मार्च 2002 को फर्म ने आबकारी के ठेके की नीलामी में हिस्सा लिया। आबकारी विभाग ने ठेके की नीलामी स्वीकार कर फर्म को ठेका आवंटित कर दिया। इससे फर्म को शराब के व्यवसाय का लाइसेंस मिल गया।
आरोपी विनोद रघुवंशी और ओपी शर्मा ने धोखाधड़ी कर 6 मार्च 2003 की नकली पार्टनरशिप डीड तैयार कर अजय को हिस्सेदारी से बाहर कर दिया। आरोपियों ने फर्म के अन्य पार्टनर को लाभ पहुंचाने के लिए 6 मार्च से 11 मार्च 2003 के बीच भोपाल आबकारी कार्यालय के रिकॉर्ड में अजय का नाम हटाकर नकली पार्टनरशिप डीड लगा दी थी। इस मामले में फरियादी अजय की ओर से एडवोकेट विजय चौधरी और विवेक चौधरी ने पैरवी की है।