न्यायालय ने आबकारी विभाग के रिटायर्ड आबकारी उपायुक्त विनोद रघुवंशी को 4 साल की सजा सुनाई है। अन्य आरोपी आबकारी विभाग के रिटायर्ड क्लर्क ओपी शर्मा को 2 साल की सजा सुनाई है। केस में फरियादी अजय अरोरा ने आरोपियों को खिलाफ प्राइवेट कंप्लेंट दायर की थी।
आरोपियों ने इस तरह किया था फर्जीवाड़ा
5 मार्च 2002 को अजय अरोरा ने अशोक ट्रेडर्स फर्म में हिस्सेदारी ली थी और पार्टनरशिप डीड तैयार हुई थी। वह 18 प्रतिशत के हिस्सेदार थे। 6 मार्च 2022 को फर्म ने आबकारी के ठेके की नीलामी में हिस्सा लिया। आबकारी ने ठेके की नीलामी स्वीकार कर फर्म को ठेका आवंटित कर दिया।
इससे फर्म को शराब के व्यवसाय का लाइसेंस मिल गया। लेकिन, आरोपी विनोद रघुवंशी और ओपी शर्मा ने धोखाधड़ी कर 6 मार्च 2003 की नकली पार्टनरशिप डीड तैयार कर दी और अजय अरोरा को फर्म की हिस्सेदारी से बाहर कर दिया।
आबकारी रिकॉर्ड से की गई थी छेड़छाड़
आरोपियों ने फर्म के अन्य पार्टनर को फायदा पहुंचाने के लिए 6 मार्च से 11 मार्च 2003 के बीच भोपाल आबकारी कार्यालय के रिकॉर्ड में अजय का नाम हटाकर नकली पार्टनरशिप डीड लगा दी थी। साल 2023 में मजिस्ट्रेट कोर्ट में इस मामले में दोनों आरोपियों को तीन-तीन साल की सजा सुनाई थी जिसके बाद आरोपी पक्ष अपील में चला गया था।