केवल पांच मिनट की सांस लेने की एक खास तकनीक दिल की सेहत को सुधार सकती है। एम्स भोपाल के अध्ययन में इसका खुलासा हुआ है। रिसर्च के अनुसार, प्राणायाम यानी योगिक श्वसन अभ्यास पर किए गए इस रिसर्च में पाया गया है कि नियमित अभ्यास से न केवल हृदय की कार्यप्रणाली बेहतर होती है, बल्कि मानसिक तनाव भी काफी हद तक कम हो जाता है।
यह अध्ययन एम्स भोपाल के फिजियोलॉजी विभाग और आयुष विभाग द्वारा किया गया। जिसे मंगलवार को 11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में शुरू की गई 30 दिवसीय योग रखे निरोग अभियान के हिस्से के रूप में प्रस्तुत किया गया। इस रिसर्च को जर्नल ऑफ एजुकेशन एंड हेल्थ प्रमोशन में प्रकाशित किया गया है।
प्राणायाम से सांस की गति होती है धीमी एम्स भोपाल के फैकल्टी सदस्य और अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ. वरुण मल्होत्रा के अनुसार, प्राणायाम से सांस की गति धीमी होती है, जिससे हृदय की धड़कन शांत होती है। तनाव दूर होता है। यह शरीर के ऑटोनॉमी नर्वस सिस्टम को संतुलित करता है। आसान भाषा में कहें तो वह प्रणाली जो हृदय, फेफड़े और अन्य आंतरिक अंगों को नियंत्रित करती है।
ऐसे की गई स्टडी
इस अध्ययन में 20 अनुभवी योग साधकों को शामिल किया गया। इसमें राइट नॉस्ट्रिल ब्रीदिंग (आरएनबी) और लेफ्ट नॉस्ट्रिल ब्रीदिंग (एलएनबी) दो प्राणायाम तकनीकों के प्रभावों का विश्लेषण किया गया। साथ ही, इसमें राइट नॉस्ट्रिल ब्रीदिंग और लेफ्ट नॉस्ट्रिल ब्रीदिंग की तुलना की गई। केवल 5 मिनट प्राणायाम कराने के बाद रीडिंग ली गई। जिससे यह नतीजे सामने आए।
मरीजों के लिए भी कारगर एम्स के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. दानिश जावेद ने बताया कि कोविड काल में शुरू की गई ऑनलाइन योग कक्षाओं से मरीजों को मानसिक शांति मिली थी। उसी अनुभव के आधार पर एम्स में अब नियमित योग और ध्यान सत्र मरीजों के लिए आयोजित किए जा रहे हैं।