शिप्रा के तट पर भावुक हुए पीएम मोदी:कहा- सिंहस्थ में जो भाव आया
पिछले सिंहस्थ में महाकाल का बुलावा आया तो यह बेटा आए बिना कैसे रह सकता है…। उस समय कुंभ की हजारों साल की पुरानी परंपरा, उस समय जो मन-मस्तिष्क में मंथन चल रहा था। मां शिप्रा के तट पर अनेक विचारों से मैं घिरा हुआ था। उसी में से मन कर गया। कुछ शब्द चल पड़े। पता नहीं कहां से आए, कैसे आए। जो भाव पैदा हुआ था, वह संकल्प बन गया। आज वह सृष्टि के रूप में नजर आ रहा है। उस समय के भाव को चरितार्थ करके जिस साथियों ने दिखाया, उन्हें बधाई देता हूं। यह बातें PM मोदी ने ‘महाकाल लोक’ के लोकार्पण के बाद अपने भाषण में कही।
मोदी का 29 मिनट का भाषण। हर-हर महादेव से शुरू और हर-हर महादेव से खत्म हुआ। ‘महाकाल लोक’ के लोकार्पण के बाद भाषण में उनका अलग अंदाज नजर आया। उन्होंने अध्यात्म से लेकर, दर्शन और इतिहास से लेकर भूगोल तक की बातें की। महाकाल की महिमा और उज्जैन के ऐतिहासिक महत्व को बताया। शिप्रा के तट पर मोदी भावुक भी हो गए। पीएम मोदी ने अपने भाषण में महाकाल शब्द का 47 बार जिक्र किया।