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आदिवासी महिला का सामान घर से सड़क पर फेंका

27 सितंबर को सोशल मीडिया पर भोपाल का एक वीडियो वायरल हुआ है। वीडियो में कुछ महिलाएं और पुरुषों के साथ दो पुलिस वाले एक घर में दाखिल होकर सामान बाहर फेंक रहे हैं। वीडियो सामने आने के बाद जब दैनिक भास्कर ने इस पूरे मामले की पड़ताल की।

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पता चला कि जिस शख्स ने ये मकान खरीदा, उसने इस घर में रह रही आदिवासी महिला को बेदखल किया है। जबकि महिला का कहना है कि उसने ये मकान 2002 में पुराने मकान मालिक से 5 लाख रुपए में खरीदा था। वहीं पुराने मालिक का कहना है कि उसने ये मकान महिला को बेचा ही नहीं।

अब सवाल उठा कि मकान के विवाद में पुलिस का क्या काम? पुलिस वालों ने क्यों मकान मालिक का साथ देकर महिला को घर से बेदखल करने की कार्रवाई की? भास्कर ने इस मामले में एमपी नगर जोन-2 के एसीपी से बात की तो उन्होंने कहा कि इसमें पुलिस की कोई भूमिका नहीं है।

पुलिस घटना की सूचना मिलने के बाद पहुंची थी। जिन्होंने महिला का सामान बाहर फेंका, उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है।

पहले पूरा मामला समझिए सुषमा के मुताबिक 27 सितंबर को मकान मालिक कृष्णकांत अग्रवाल के कहने पर आरोपी वीर सिंह, रिंकू सिंह और मां गुड्डी बाई सुबह 9 बजे उनके घर पहुंचे। उन लोगों ने मेरे साथ मारपीट और गाली गलौज की। मेरे घर का सामान सड़क पर फेंक दिया और मुझे बंधक बना लिया गया।

उनके साथ दो किन्नर भी थे, जो गंदी गालियां देकर अश्लील हरकतें कर रहे थे। थोड़ी देर बाद हाउसिंग बोर्ड में काम करने वाले रिंकू-वीर के जीजा गोयल साहब भी आ गए। उनके साथ अयोध्या नगर थाने के कॉन्स्टेबल प्रदीप दामले और सुदीप राजपूत भी थे।

दोनों पुलिस वालों ने बदसलूकी की और मेरा मोबाइल छीन लिया। कहने लगे कि महिला को घर से बाहर निकालो और ताला लगा दो। सुषमा ने आरोप लगाया कि पुलिस वाले ही मुझे अंदर से घसीट कर दरवाजे तक लाए। ये भी आरोप लगाया कि घटना वाले दिन उसकी अलमारी से 1 लाख रु. और सोने-चांदी के गहने भी लूट लिए।

अब जानिए किसका क्या कहना है

साल 2002 में कृष्णकांत अग्रवाल से मकान का सौदा किया- सुषमा पंद्रे भास्कर से बातचीत में सुषमा पंद्रे ने कहा कि मैं साल 2002 से इसी मकान में रह रही हूं। मैंने कृष्णकांत अग्रवाल से मकान का सौदा पांच लाख रु. में तय किया था। ये मौखिक एग्रीमेंट था, उस समय अग्रवाल को किस्तों में पैसा देना तय हुआ था। जब रकम पूरी होगी तब रजिस्ट्री होगी।

सुषमा के मुताबिक साल 2005 से 2019 तक उसने तीन लाख रुपए किस्तों में उन्हें दिया। लेकिन कृष्णकांत ने जानकारी दिए बगैर इस मकान को वीर सिंह और रिंकू सिंह के पिता निहाल सिंह को बेचकर रजिस्ट्री करवा दी। इसके बाद सुषमा ने निहाल सिंह की रजिस्ट्री को कैंसिल करने के लिए भोपाल कोर्ट में आवेदन दिया। ये मामला कोर्ट में विचाराधीन है और इसी महीने की 7 तारीख को इस मामले में पेशी भी है।

कृष्णकांत से 2019 में साढ़े आठ लाख रु. में मकान खरीदा- गुड्डी बाई भास्कर ने इस मामले में गुड्डी बाई से बात की तो उन्होंने बताया कि मेरे पति निहाल सिंह ने साल 2019 में कृष्णकांत अग्रवाल से यह मकान साढ़े आठ लाख रु. में खरीदा था। मकान का पूरा पेमेंट चेक से किया था। उनसे पूछा कि अब तक मकान में रहने क्यों नहीं आए तो बोलीं- मकान मालिक ने एक एग्रीमेंट करवा रखा था।

उसने हमसे कहा था कि मकान किसी को किराए पर दिया है। उनके खाली करते ही मकान का पजेशन देंगे। हम लोग इंतजार कर रहे थे। पिछले पांच साल से मैं खुद किराए के मकान में रहती हूं। जिसे किराए पर दिया है, वह घर खाली करने को तैयार नहीं है।

आखिरकार परेशान होकर सुषमा से हमने घर खाली करवाया। भास्कर ने पूछा कि आपने जबरन घर खाली करवाया? उन्होंने कहा- ऐसा नहीं है, हमने तो सिर्फ सामान बाहर रखा। मेरे बेटों के खिलाफ गलत तरीके से एफआईआर दर्ज की गई है।

हमने किसी तरह की मारपीट नहीं की। ये मेरा मकान है। मेरे पास सारे दस्तावेज मौजूद है। अब मैं कहां जाऊंगी, मेरा भी पति नहीं है। इतने सालों से मैं भी किराए के घर में रह रही हूं।

कृष्णकांत अग्रवाल बोले- मैंने सुषमा को मकान नहीं बेचा रीवा के रहने वाले कृष्णकांत अग्रवाल से जब दैनिक भास्कर ने बात की तो उन्होंने कहा कि ये मेरा मकान था। साल 1996 में हाउसिंग बोर्ड से अलॉट हुआ था। 2015 में मकान की रजिस्ट्री मेरे नाम पर हुई। भास्कर ने पूछा कि मकान किसे बेचा सुषमा को या निहाल सिंह को, तो अग्रवाल ने कहा कि 2019 में निहाल सिंह को मकान बेचा था और इसकी रजिस्ट्री भी करवाई थी।

सुषमा के मकान खरीदने के दावे पर अग्रवाल ने कहा कि मैं उन्हें नहीं जानता हूं। भोपाल में रहने वाले मेरे किसी रिश्तेदार ने ये मकान उन्हें किराए से दिया था। जिनका एग्रीमेंट भी साल 2010 में हुआ था। उसके बाद उन्होंने किराया दिया या नहीं इस बारे में मुझे नहीं पता। मकान खरीदने वाली बात बिल्कुल झूठी है। मुझे कोई पेमेंट दिया है तो वह सबूत दें। मकान बेचने का कोई एग्रीमेंट दिखाएं।

सोशल एक्टिविस्ट ने कहा- पुलिस आरोपियों से मिली हुई है दरअसल, जब ये वीडियो वायरल हुआ तो कई सामाजिक संगठनों ने इसका विरोध किया। सोशल एक्टिविस्ट शरद कुमरे का कहना है कि इस पूरे मामले में पुलिस की मिलीभगत है। जो वीडियो वायरल हो रहा है उसमें पुलिस वाले बोलते हुए दिख रहे हैं कि महिला को घर से बाहर निकालो और ताला लगाओ। पीड़ित महिला ने भी बताया कि पुलिस वाले उसे घसीटकर दरवाजे तक लाए। ये मामला गंभीर है, इसकी उच्चस्तरीय जांच होना चाहिए।

पुलिस अधिकारियों ने आरोपों से किया इनकार एमपी नगर के एसीपी अक्षय चौधरी ने इन सारे आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि जब पूरा विवाद हुआ था, उसके बाद पुलिस को सूचना मिली थी और मौके पर पहुंची थी। वायरल वीडियो के आधार पर जो भी बातें की जा रही हैं वो सभी गलत हैं। वायरल वीडियो घटना के बाद का है।

पुलिस ने पीड़िता की शिकायत पर उसका सामान फेंकने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी की है। वीडियो को बारीकी से देखेंगे तो उस दौरान पड़ोसी शोर मचा रहे थे और घर में घुस गए थे। पुलिस ने बाकी लोगों को वहां से निकाला। पुलिस ने पीड़िता को न तो घर से निकाला न ही सामान फेंका।

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