प्राचार्य पर कार्रवाई के विरोध में धरने पर बैठे विद्यार्थी
एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय के छात्र-छात्राएं पेटलावद-बरवेट रोड पर शनिवार को चक्काजाम कर धरने पर बैठ गए। यह विद्यार्थी यहां ट्रांसफर किए गए प्राचार्य को वापस यहीं पदस्थ करवाने की मांग कर रहे थे। करीब दो घंटे चले इस आंदोलन को प्रशासन की ओर से तहसीलदार, टीआइ ने पहुंचकर खत्म करवाया। इससे पहले विद्यार्थियों ने स्कूल प्राचार्य के पक्ष में जमकर नारेबाजी की।
बता दें कि गत दिनों राज्यपाल जिले के दौरे पर आए थे। उनके समक्ष एकलव्य स्कूल के इन्हीं विद्यार्थियों ने स्कूल की अव्यवस्थाओं को उजागर किया था। इसके बाद उच्च अधिकारियों ने पहले होस्टल अधीक्षिका को निलंबित किया था। फिर संभाग स्तरीय जांच दल द्वारा की गई। जांच में विद्यार्थियों की शिकायत सही पाई गई और संभागायुक्त ने प्राचार्य योगेंद्र प्रसाद को भी इस मामले में दोषी मानकर निलंबित कर रानापुर अटैच कर दिया है। हालांकि पूर्व में उनका यहां से मंडला जिले में ट्रांसफर कर दिया गया था, लेकिन उन्हें रिलिव नहीं किया गया था।
प्राचार्य को फंसाया जा रहा है
छात्रा अस्मिता, छात्र रितेश वसुनिया, पिंटू मुणिया, मनीष डामोर का कहना है कि हमने स्कूल की जो अव्यवस्थाएं थीं, उसे उजागर किया था, इसमें प्राचार्य का कोई दोष नहीं था। उन्हेें षड्यंत्रपूर्वक फंसाया जा रहा है। यह होने नही देंगे। स्कूल में प्राचार्य योगेंद्र प्रसाद ही चाहिए। कलेक्टर से मांग है कि प्राचार्य को वापस यहीं पदस्थ करवाए जाए। प्रशासन की ओर से तहसीलदार जगदीश वर्मा, टीआई संजय रावत, नायब तहसीलदार परवीन अंसारी आदि ने बच्चों को समझाइश दी। इसके बाद विद्यार्थियों ने कलेक्टर के नाम एक ज्ञापन तहसीलदार को सौंपा। इसके बाद धरना-प्रदर्शन समाप्त हुआ।
इस आंदोलन ने खड़े किए कई बड़े सवाल
विद्यार्थियों द्वारा अचानक किए गए इस आंदोलन में कई सवालों को जन्म दे दिया। पहला सवाल तो यह कि जब प्राचार्य का ट्रांसफर आदेश आया, उसके अगले दिन यह आंदोलन विद्यार्थियों ने क्यों नहीं किया। अगर प्राचार्य को षड्यंत्रपूर्वक फंसाया जा रहा है तो प्राचार्य इस मामले में क्यों चुप्पी साधे हुए हैं? सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या इन विद्यार्थियों को सिखाकर यह आंदोलन करवाया गया, जिससे उच्च अधिकारियों के सामने प्राचार्य की गिरी साख अच्छी बन सके।