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पूर्णिमा पर नगर व अंचल सहित कई क्षेत्रों में लगाए होली के डांडे

2020 की होली पर भी छाया रहा था कोरोना संक्रमण फैलने के डर का साया, लेकिन 2021 में लोगों ने प्रतिबंध के बावजूद जमकर खुले आम रंग उड़ाया था ,इस बार तो कोई प्रतिबंध नहीं है इसलिए रंग जमकर खेला जाएगा,वो भी पांचों दिन।बुधवार को पूर्णिमा पर होली का डांडा गाढ़ने के साथ ही मस्ती भरे त्योहार की शुरुआत हो चुकी है। फाल्गुन माह शुुरू होते ही देवालयों में धार्मिक संस्थाओं, गांवों-शहरों में फागोत्सव शुरू हो जाएगा। फाल्गुन के साथ मंदिरों में श्रद्धालु अबीर, गुलाल व फूलों के साथ ठाकुर जी के संग होली खेलना शुरू कर देते हैं, जो पूरे माह चलता है। मंदिरों में भजन कीर्तन के कार्यक्रम शुरू हो गए।

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पहले डांडा गाढ़ने के साथ ही होली का त्योहार पूरे महीने मनाया जाता था। अब 5 दिन मनाया जाता है। इसके साथ ही फाल्गुन माह शुुरू होते ही अंचल विशेष कर आदिवासी क्षेत्रों सिद्धिकगंज आदि ग्रामों में त्योहार की धूम शुरू हो जाएगी। ग्रामीण क्षेत्रों में परंपरा के अनुसार जिस स्थान पर होली दहन होता है, वहां बड़ा डंडा लगाया जाता है, जो भक्त प्रहलाद का प्रतीक होता है। होलिका दहन से ठीक पहले इसे सुरक्षित निकाल लिया जाता है। माघ मास की पूर्णिमा को स्नान ध्यान व्रत का विशेष पुण्य फल प्राप्त होता है। इस बार माघ मास की पूर्णिमा बुधवार को थी। पूर्णिमा मंगलवार की रात 9.42 बजे से शुरू हो गई, जो बुधवार रात 10.26 पर पूर्ण हुई।

कुछ राज्यों में मांगलिक कार्य निषेध माने गए

इस होलाष्टक के मध्य में त्रिपुष्कर प्रदेश पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश व राजस्थान आदि में कुछ स्थानों पर मांगलिक कार्य निषेध माने गए हैं और कुछ विद्वानों के मतानुसार अन्य राज्य मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र आदि में प्रायः मांगलिक कार्य को वर्जित नहीं माना गया है।

मांगलिक कार्य मुहूर्त विशेष अनुरूप किए जा सकते हैं

कुछ ग्रामीण अंचलों में पारंपरिक नियम और परंपरा के अनुसार पूर्णिमा से लेकर होलिका दहन पर्यंत तक किसी भी प्रकार के बड़े मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं, लेकिन शास्त्र नियम अनुसार इस मध्य सभी मांगलिक कार्य मुहूर्त विशेष अनुरूप किए जा सकते हैं। शास्त्र नियम अनुसार फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से पूर्णिमा पर्यंत अवधि के (होलाष्टक) इस मध्य विशेष तौर पर किसी भी बड़े मांगलिक कार्य नहीं किए जा सकते हैं। इस बार होलाष्टक 10 मार्च से शुरू हो रहा है जो कि 18 मार्च धुलेंडी को होलाष्टक समाप्त हो रहा है। इसमें किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य निषेध माने गए।

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