मौसम का असरः गेहूं की फसल पकने में लगेंगे 140-145 दिन
मौसम के बदलते मिजाज का असर अब फसलों पर भी दिखाई दे रहा है। ठंड की चपेट में आए आलू और टमाटर की फसलें खराब होने की जानकारी सामने आई तो अब गेहूं की फसल पर इसका बड़ा असर दिखाई दे रहा है। क्षेत्र में 120 दिनों में पक कर तैयार होने वाली गेहूं की फसल को अब भी 20-25 ज्यादा लगेंगे। इस सीजन में ज्यादा धूप नहीं दिखाई दी। वहीं कृषि वैज्ञानिक के अनुसार फसलों के पकने में देरी भले ही हो रही है, लेकिन यह पैदावार बढ़ेगी। किसान नेता सौरभ शर्मा ने बताया कि क्षेत्र में गेहूं की नई फसल इस दौरान आ जाती है। इस बार अब तक फसल पक कर तैयार नहीं हुई। ऐसे में किसानों को खेते में 20-25 दिनों तक और मशक्कत करना पड़ सकती है। शर्मा ने बताया कि बीते कई सालों से वे अपने खेतों में परंपरागत फसलों को लेते आए हैं। ऐसा उन्होंने पहली बार देखा कि अब तक मंडियों में एक भी जगह से नई फसल नहीं आई। वहीं दूसरी ओर मौसम विज्ञानियों के अनुसार यह बदलाव फसल की पैदावार बढ़ाएगा। किसानों व कृषि विज्ञानियों के मुताबिक क्षेत्र में कम दिनों में पकने वाली किस्मों की बोवनी करते हैं। अब लगातार शीतलहर के कारण मौसम ठंडा बना रहा। ऐसे में 120 दिनों में तैयार होने वाली फसल को पर्याप्त धूप नहीं मिली, जिसके चलते नई फसल आने में देरी हो गई।
पैदावार बढ़ेगी
कृषि विज्ञानी डॉ. स्वपनिल दुबे के अनुसार मौसम में आया यह बदलाव फसलों के उत्पादन के लिए अच्छा रहेगा। खासतौर पर गेहूं के लिए कृषि प्रधान प्रदेशों में 150 दिनों वाली फसलों को लिया जाता है। क्योंकि वहां भी मौसम ठंडा बना रहता है। यह पहली बार देखने को मिला है कि इस बार शीतलहर लंबे समय तक रही। वहीं अच्छी बात यह भी रही कि पाला जैसी स्थिति निर्मित नहीं हुई। लंबी अवधि तक ठंडा मौसम और फिर धूप फसल के दानों को बढ़ाएगी।
आलू को नुकसान
मौसम के बदलाव का असर आलू और टमाटर जैसी फसलों पर भी दिखाई दिया। शुरुआती ठंड में ही आलू और टमाटर की फसलें खराब हो गई थी। आलू की फसल इस बार थोड़ी कमजोर दिखाई दे रही है। रविवार के बाद ठंड से राहत मिलना शुरू हो जाएगी। अधिकतम पारा भी तेजी से बढ़ने के साथ धूप भी तीखी हो जाएगी। रविवार को अधिकतम तापमान 22.7 और न्यूनतम तापमान 6.7 दर्ज किया गया। कल से ही दिन व रात का तापमान बढ़ेगा। यह ज्यादा दिनों का नहीं रहेगा। आगामी दिनों में एक बार फिर से ठंड लौटकर आएगी।