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रूस-यूक्रेन विवाद: इंदौर जिले के 22 छात्र यूक्रेन में फंसे, घर वापसी में एयरलाइंस बन रहीं रोड़ा

नवीन यादव, इंदौर। रूस और यूक्रेन के बीच में ताजा विवाद में इंदौर सहित प्रदेश के कई छात्र वहां फंस गए हैं। इधर स्वजन अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर परेशान हैं और उनकी सकुशल घर वापसी का प्रयास कर रहे हैं, वहीं एयरलाइंस भी इस मौके का फायदा उठाने में नहीं चूक रही है। तीन दिन पहले यूक्रेन से इंदौर आने का किराया 25 हजार रुपये था, वह बढ़ कर सवा दो से ढाई लाख रुपये तक हो गया है। अब स्वजन अपने बच्चों की सुरक्षित वापसी को लेकर परेशान हैं।

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जानकारी के अनुसार, इंदौर और आसपास के जिलों के करीब 22 छात्र इन दिनों यूक्रेन में फंसे हुए हैं। लगभग सभी बच्चे वहां पर मेडिकल की पढ़ाई के लिए गए थे। एक निजी कालेज में सहायक प्राध्यापक डा. अखिलेश राव ने बताया कि उनका पुत्र प्रणय वहां पढ़ रहा है। उसके नौ सेमेस्टर हो गए हैं, जबकि तीन बाकी हैं। बुधवार शाम को उससे बात हुई है। वहां पर सीमा से सेना लौट रही है। इससे हालात सामान्य हो गए हैं, लेकिन हम अपने बच्चों को लेकर चिंतित हैं। वहां के विवि भी बच्चों के लिए फिर परीक्षा आयोजित करवाने में असमर्थता जता रहे हैं। इससे हम बच्चों को वापस बुलाने पर भी त्वरित निर्णय नहीं ले पा रहे हैं। इंदौर शहर के अलावा आसपास के राऊ, देपालपुर आदि इलाकों के बच्चे भी यूक्रेन में फंसे हैं।

तीन दिन का किराया बढ़ा

डा. राव ने बताया कि तीन दिन पहले तक यह यूक्रेन से इंदौर वाया दिल्ली का किराया 25 हजार रुपये प्रति यात्री था। विवाद बढ़ने और रूस के हमले की आंशका बढ़ने के बीच यह बढ़ कर 75 हजार रुपये हुआ। बुधवार को अब यह सवा दो लाख से ढाई लाख रुपये के बीच हो गया। इस समय एयरलाइंस भी हमारी परेशानी बढ़ाने में लगी हैं। हमने सांसद शंकर लालवानी और केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिधिंया से मदद मांगी है।

इसलिए जाते हैं यूक्रेन

देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (डीएवीवी) के छात्र कल्याण संघ के अध्यक्ष एलके त्रिपाठी बताते हैं कि यूक्रेन और उसके पास के कुछ देशों में मेडिकल कोर्स चलाने वाले संस्थानों की संख्या अधिक होती है। वहां चयन भी सरलता से हो जाता है। इसके अलावा यह भारत की तुलना में सस्ता भी पड़ता है, इसलिए छात्र वहां जाते हैं। वहां बिना प्रवेश परीक्षा के प्रवेश हो जाता है। वहां से डिग्री लेकर आने के बाद भी छात्रों को भारत में एक परीक्षा पास करनी होती है। इसके बाद वे भारत में प्रैक्टिस कर सकते हैं। बीते कुछ साल में वहां जाने वाले विद्यार्थियों की संख्या बढ़ गई है।

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