हैदराबाद में रामानुज सहस्त्राब्दी समारोह में शामिल हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, कही ये बात
भारतीय संत परंपरा के मुकुटमणि थे रामानुजाचार्य, उनका सम्पूर्ण दर्शन समानता और बंधुत्व की मजबूत नींव पर आधारित
भोपाल (राज्य ब्यूरो)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को हैदराबाद में रामानुज सहस्त्राब्दी समारोह में हिस्सा लिया। उन्होंने श्रीरामनगरम्, जीवा कैम्प्स में रामानुजाचार्य की प्रतिमा के दर्शन कर पूजा-अर्चना की। मुख्यमंत्री के साथ पत्नी साधना सिंह भी उपस्थित थीं। तेलंगाना के हैदराबाद स्थित 216 फीट (66 मीटर) ऊंची इस प्रतिमा की स्थापना का कार्य वर्ष 2014 में प्रारंभ हुआ था।
पंचधातु से निर्मित इस विशिष्ट प्रतिमा को स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी (समानता की मूर्ति) नाम दिया गया है। करीब एक हजार वर्ष पूर्व 11वीं सदी में हुए वैष्णव संत भगवत रामानुज की यह मूर्ति चिन्न्ा जियर ट्रस्ट में स्थित है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गत सप्ताह प्रतिमा का अनावरण किया है। मुख्यमंत्री ने तेलंगाना प्रवास में साधु-संतों को मध्य प्रदेश में बनने वाली स्टैच्यू ऑफ वन-नेस परियोजना की जानकारी भी दी। समारोह को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी संबोधित किया।
मुख्यमंत्री ने वैदिक दार्शनिक व समाज सुधारक रामानुजाचार्य जी का स्मरण करते हुए कहा कि तमिलनाडु के श्री पैरम्बदूर में जन्मे रामानुजाचार्य ने भक्ति आंदोलन को पुनर्जीवित किया। उनकी शिक्षाओं से अन्य भक्ति विचारधाराएं भी पनपीं। भक्त रामदास, कबीर, मीराबाई जैसे संतों, कवियों को भी प्रेरणा मिली। उन्होंने कहा कि रामानुजाचार्य जी के संदेश एक हजार वर्ष बाद आज भी प्रासंगिक हैं। उनका सम्पूर्ण दर्शन अपने आप में एक विराट संसार है, जो समता, समानता और बंधुत्व की मजबूत नींव पर स्थापित है।
उन्होंने समाज में वर्ग-विभेद को समाप्त कर समानता के सेतु बनाने का प्रबल आग्रह किया। वे सिर्फ धर्म प्रचारक या संत ही नहीं थे बल्कि स्वयं शेषावतार थे, जिन्होंने अपनी शिक्षाओं और कार्यों से भारतीय परम्परा के शाश्वत मूल्यों को उद्घाटित किया था। विभिन्न् भारतीय संस्कृतियों को जोड़कर वैदिक अद्वैत सिद्धांत को यथावत रखा। उनकी भक्ति भावना का प्रसार दक्षिण ही नहीं, उत्तर भारत में भी हुआ। इस तरह वे भारतीय संत परंपरा के मुकुटमणि बने।
मध्य प्रदेश में बन रही स्टैच्यू ऑफ वन-नेस
मप्र के ओंकारेश्वर में शंकराचार्य जी की 108 फीट ऊंची विशाल बहु धातु प्रतिमा, शंकर संग्रहालय और आदिगुरु शंकराचार्य अंतर्राष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान के निर्माण को सरकार ने मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गत माह देश के प्रमुख साधु-संत भी आचार्य श्ांकर सांस्कृतिक एकता न्यास के न्यासी मंडल की बैठक में भोपाल आए थे। तब ओंकारेश्वर में प्रारंभ प्रकल्प के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा हुई थी। आचार्य शंकर के सम्पूर्ण जीवन दर्शन से परिचित कराने, उनके अद्वैत वेदांत की अभिव्यक्ति, नई पीढ़ी के चरित्र निर्माण, पर्यावरण संरक्षण, विश्व कल्याण और वसुधैव कुटुम्बकम के भाव के साथ ओंकारेश्वर को राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय स्तर के स्थल के रूप में विकसित करने के संबंध में बजट प्रविधान के साथ ही विभिन्न् कार्यों के लिए एजेंसियों का निर्धारण कर लिया गया है।