ऑनलाइन फ्रॉड कर खाते से निकाले 3.83 लाख
सागर में जिला उपभोक्ता विवाद व प्रतितोषण आयोग ने ऑनलाइन धोखाधड़ी कर खाते से निकाले गए 3.83 लाख रुपए उपभोक्ता को लौटाने का आदेश बैंक को दिया है। आयोग ने बैंक सेवा में कमी को आधार मानकर ये फैसला सुनाया है
सागर के पटना बुजुर्ग में रहने वाले 85 साल के पेंशनर हरिराम गौर ने उपभोक्ता आयोग में स्टेट बैंक ऑफ रहली के शाखा प्रबंधक के खिलाफ शिकायत की थी। हरिराम ने बताया कि 1 अक्टूबर 2019 को खाते में जमा 3 लाख 83 हजार 357 रुपए में से 5 हजार रुपए डेबिट किए थे। 21 अक्टूबर को पासबुक की एंट्री कराने पहुंचा तो बैलेंस 383 रुपए दिखा।
बैंक ने जानकारी दी कि 11 अक्टूबर से 17 अक्टूबर 2019 के बीच मुकेश गौंड और रेवा बाई ज्वालापुरी नामक महिला ने आपके खाते से 3.83 लाख रुपए जीसीसी हस्तांतरण के माध्यम से निकाले हैं।
हरिराम आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा- मेरा एटीएम और पिन मेरे पास है तो फिर कोई और पैसे कैसे निकाल सकता है। बैंक प्रबंधक ने कुछ नहीं कर सकते, कहते हुए मामले से पलड़ा झाड़ा लिया।
हरिराम ने 22 अक्टूबर को एसपी ऑफिस में शिकायत की। 31 अक्टूबर 2019 को रहली पुलिस ने धोखाधड़ी का केस दर्ज किया। हरिराम ने बैंक की लापरवाही और सेवा में कमी का हवाला देते हुए जिला उपभोक्ता आयोग में भी परिवाद पेश किया।
बैंक ने कहा- हमारी लापरवाही नहीं
मामले में पैरवी कर रहे अधिवक्ता पवन नन्होरिया ने बताया कि शिकायत पर जिला उपभोक्ता आयोग अध्यक्ष राजेश कुमार कोष्टा और सदस्य अनुभा वर्मा ने सुनवाई की। सुनवाई के दौरान बैंक की ओर से तर्क दिया गया कि आवेदक के खाता से न केवल ग्रीन चैनल काउंटर (जीसीसी) के माध्यम से रुपए निकले हैं, बल्कि एटीएम से भी रुपए डेबिट हुए हैं।
बिना एटीएम, पिन की जानकारी के आवेदक के बैंक खाते से उसके अलावा अन्य व्यक्ति रुपए नहीं निकाल सकता है। ऐसी स्थिति में आवेदक के खाते से हुए उक्त ट्रांजेक्शन के संबंध में बैंक की सेवा में कमी और लापरवाही नहीं मानी जा सकती है।
बैंक की सेवा में कमी मिली शिकायतकर्ता ने भारतीय रिजर्व बैंक की 6 जुलाई 2017 की अधिसूचना पेश की, जिसमें अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन के संबंध में ग्राहकों के अधिकारों का उल्लेख किया गया है। अधिसूचना के पैरा-5 में कहा गया है कि ग्राहकों को सलाह दी जानी चाहिए कि वे किसी भी अनधिकृत लेनदेन के बारे में अपने बैंक को तुरंत सूचित करें।
बैंक को सूचित करने में जितना अधिक समय लगेगा, बैंक व ग्राहक को नुकसान का जोखिम उतना अधिक होगा। इसमें ये भी लिखा है कि बैंक को ग्राहकों की शिकायतों का त्वरित निपटारा करना चाहिए और उन्हें शिकायत संख्या के साथ पावती प्रदान करनी चाहिए। बैंक को अनधिकृत लेनदेन की रिपोर्ट मिलने पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि आगे कोई अनधिकृत लेनदेन न हो सके। आयोग ने इस मामले में बैंक की सेवा में कमी पाई है।
3.83 लाख रुपए और 25 हजार क्षतिपूर्ति के भुगतान करने के आदेश अधिवक्ता पवन नन्होरिया ने बताया कि जिला उपभोक्ता आयोग ने शिकायतकर्ता को 3 लाख 83 हजार 56 रुपए 17 अक्टूबर 2019 से 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ दो महीने में भुगतान करने का आदेश दिया है। साथ ही आवेदक को सेवा में कमी और मानसिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति के रूप में 25 हजार रुपए देने के भी आदेश दिए हैं। परिवाद व्यय के तहत 2 हजार रुपए भी दो महीने के भीतर भुगतान करने होगा।