एमपी की राजधानी भोपाल में बना एक रेलवे ओवर ब्रिज इन दिनों अपनी अनोखी डिजाइन के कारण सुर्खियों में है। लोग सोशल मीडिया पर इसके मिम्स बना रहे हैं। मजाक बना रहे हैं।
दरअसल इस ब्रिज पर 90 डिग्री के एंगल से मोड दिया गया है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि यहां वाहन कैसे टर्न लेंगे। वाहनों के या तो ब्रिज की दीवारों से या फिर आपस में टकराने का खतरा बना रहेगा।
इस मामले में पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह ने जांच के आदेश दिए हैं। जिसके बाद गुरुवार को पीडब्ल्यूडी के अफसर मौके पर पहुंचे और जांच की। इधर, विपक्षी पार्टी भी ब्रिज को लेकर सरकार पर तंज कस रही है।
स्ट्रक्चर इंजीनियर डॉ. शैलेंद्र बागरे ने कहा कि यह तो ऐसा लग रहा है, जैसे दो स्केल रखे हुए हैं। ब्रिज पर दोनों ओर से आने वाले ट्रैफिक को देखते हुए यह बहुत खतरनाक है। उन्होंने डिजाइन एंगल को नाप कर बताया कि यह 88 डिग्री है। इस एंगल पर गाड़ी के बाहर की तरफ गिरने की आशंका होती है।
वाहन ब्रिज से नीचे गिरने का रहेगा खतरा मैनिट के ट्रैफिक एक्सपर्ट डॉ. सिद्धार्थ रोकड़े ने कहा कि यदि जगह की कमी के कारण एंगल कम दिया जाए तो गाड़ियों की स्पीड पर नियंत्रण जरूरी है। यहां सिर्फ साइन बोर्ड लगाने से काम नहीं चलेगा, बल्कि यहां स्पीड कम करने के तरीके अपनाने होंगे। यदि यह नहीं किए गए तो गाड़ी नीचे गिर सकती है।

जबलपुर में मंत्री से हो चुका सवाल इस मामले में एक दिन पहले बुधवार को जबलपुर में पीडब्ल्यूडी मंत्री सिंह से सवाल किया तो उनका कहना था कि इस तरह के ब्रिज बनने के बाद अचानक ही कुछ विशेषज्ञ आते हैं और इस तरह की बात करते हैं। कोई भी ब्रिज या पुल जब बनते हैं, तो बहुत सारे तकनीकी पहलुओं से गुजरने के बाद फैसला होता है। अगर ये कोई आरोप है, तो इसका परीक्षण कर जांच करवा ली जाएगी।
मंत्री के जांच की बात कहने के बाद गुरुवार को इंजीनियरों की टीम मौके पर पहुंची। यह टीम जल्द ही अपनी रिपोर्ट देगी। इसके बाद आगे की कार्रवाई होगी।

कांग्रेस ने ब्रिज को भ्रष्टाचार का नमूना बताया कांग्रेस प्रवक्ता अभिनव बरोलिया गुरुवार को आरओबी पहुंचे। उन्होंने ब्रिज को भ्रष्टाचार का नमूना बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि इसे बनाने में अजीब टेक्नोलॉजी इस्तेमाल की गई है। इसे बनाने में बंदरबांट हुआ है। इसके पूरे देश में मिम्स भी बन रहे हैं। जांच के बाद दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो।

पीडब्ल्यूडी कर रहा सुधार की तैयारी पीडब्ल्यूडी ब्रिज डिविजन के एक्जीक्युटिव इंजीनियर आरए मोरे शनिवार को ऐशबाग रेलवे क्रॉसिंग पर भी जा चुके हैं। उन्होंने यहां डामरीकरण के समय सुपर एलिवेशन डिजाइन के निर्देश दिए थे। सुपर एलिवेशन मोड़ों में इस्तेमाल होने वाली बुनियादी ढांचे के निर्माण की विधि है। जिसमें बाहरी किनारे को भीतरी किनारे से ऊपर उठाया जाता है। जब वाहन इन मोड़ से गुजरते हैं, तब सड़क एक कोण पर झुकी हुई होती है, जिससे मोड़ पर चलना आसान हो जाता है।
क्रॉसिंग बंद होने से इसकी खास जरूरत
ब्रिज के निर्माण के समय रेलवे ने भी 90 डिग्री की इस टर्निंग पर आपत्ति की थी, लेकिन पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों ने यहां जगह कम होने का हवाला देते हुए कहा कि और कोई विकल्प नहीं है। ऐशबाग रेलवे क्रॉसिंग बंद होने के बाद इस इलाके के लिए आरओबी एक बड़ी जरूरत है। इसलिए कम जगह में भी इसे बनाना होगा।
मई 2022 में शुरू हुआ निर्माण 18 माह में पूरा करना था इस ब्रिज का निर्माण मई 2022 में शुरू हुआ था और इसे 18 महीने में पूरा करना था, लेकिन अब तक पूरी तरह से नहीं बन सका है। इसकी लागत 18 करोड़ रुपए है। 648 मीटर लंबे और 8 मीटर की चौड़ाई ब्रिज का 70 मीटर हिस्सा रेलवे का है।