ऐशबाग में पकड़े गए फर्जी कॉल सेंटर में एक नहीं, तीन आरोपियों को बचाने की डील हुई थी। इसमें मास्टरमाइंड अफजल का साला मुइन, उसकी प|ी जायद बेगम और उसका भाई वसीम खान शामिल हैं। डील करने वाले आरोपी एएसआई पवन रघुवंशी ने इन सभी को आरोपी न बनाने का भरोसा दिलाया था।
इसका जिक्र एफआईआर में किया गया है। इस मामले का मुख्य आरोपी पवन अब तक पुलिस की पकड़ से बाहर है। उसकी तलाश के लिए तीन टीमें लगाई गई हैं। शुक्रवार को इन टीमों ने पवन के हर संभावित ठिकाने पर दबिश दी। इधर, महकमे ने आरोपी पवन को बर्खास्त करने की तैयारी कर ली है।
गुरुवार तक आला अधिकारियों के कार्यालय के चक्कर काटने वाले आरोपी टीआई जितेंद्र गढ़वाल शुक्रवार को अंडरग्राउंड हो गए हैं। आरोपी एएसआई मनोज सिंह और प्रधान आरक्षक धर्मेंद्र पहले से अंडरग्राउंड हैं। डील की रकम लाने वाले भाजपा पार्षद अंशुल जैन और जायद की गिरफ्तारी के लिए अलग-अलग टीम टीकमगढ़ रवाना की गई हैं।
किसकी क्या भूमिका थी…
- एएसआई पवन रघुवंशी- तीन आरोपियों को बचाने के लिए 25 लाख की डील की। 4.94 लाख की रिश्वत लेते पकड़ा गया। अभी फरार है।
- टीआई जितेंद्र गढ़वाल- आरोपी पवन ने बताया था- उसने डील टीआई जितेंद्र गढ़वाल के कहने पर की। टीआई को इसकी जानकारी थी।
- एएसआई मनोज सिंह- बिचौलिए से मीडिएशन का काम इसे ही दिया गया था।
- प्रधान आरक्षक धर्मेंद्र- इसे भी मीडिएशन का काम दिया गया था।
- अंशुल जैन- टीकमगढ़ से भाजपा पार्षद है। डील की रकम यही लेकर आया था, फरार है।




