Monday, April 21, 2025
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जिपं उपाध्यक्ष ने पत्र लिखा-24 से भूख हड़ताल पर बैठूंगा

भोपाल के आधे से ज्यादा गांवों में नल-जल प्रोजेक्ट अधूरे हैं। इस कारण गांवों की बड़ी आबादी को गर्मी में पानी के लिए परेशान हो रहा है। इसे लेकर जिला पंचायत की बैठक में मुद्दा भी उठ चुका है, पर पीएचई विभाग के जिम्मेदार नहीं जागे।

इस कारण जिपं उपाध्यक्ष मोहन सिंह जाट ने सोमवार को कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह को पत्र लिख दिया। कहा कि जिपं ऑफिस परिसर में ही 24 अप्रैल से भूख हड़ताल पर बैठूंगा।

कलेक्टर को पत्र लिखते ही सीईओ ईला तिवारी ने नल-जल योजनाओं के बारे में 3 दिन में रिपोर्ट मांग ली। उन्होंने जनपद पंचायत फंदा एवं बैरसिया अंतर्गत स्वीकृत, हस्तांतरित, ट्रायलरन, प्रगतिरत नल-जल योजनाओं के निरीक्षण, जांच कराने के लिए टीमें बना दी। इस टीम में पीएचई, जनपद के इंजीनियर, सचिव, रोजगार सहायक शामिल किए गए हैं, जो जिला पंचायत के सभी सदस्य को अवगत कराते हुए निरीक्षण/जांच करेंगे। संबंधित टीमें ग्राम पंचायत में मौके पर जाकर नल-जल योजना की वर्तमान स्थिति, योजना प्रारंभ है या योजना बंद पड़ी हुई है? ग्राम पंचायत में वर्तमान में पेयजल की स्थिति आदि की जानकारी, पूर्ण-अपूर्ण, ट्रायल रन, प्रगतिरत नलजल योजनाओं से संबंधित निरीक्षण और जांच प्रतिवेदन 3 दिन में मांग लिया।

उपाध्यक्ष के साथ सदस्य भी भूख हड़ताल करेंगे जिपं उपाध्यक्ष जाट ने कलेक्टर को पत्र लिखा कि 27 मार्च को साधारण सभा की बैठक हुई थी। इसमें जल जीवन मिशन योजना के तहत विभागीय अधिकारियों को 15 दिन में अधूरी नल-जल योजनाओं को पूरा करने को कहा गया था, लेकिन 21 अप्रैल का दिन भी बीत गया। बावजूद अब तक न तो कोई रिपोर्ट दी गई और न ही गांवों में पेयजल संकट खत्म हुआ है।

वर्तमान में खजूरी, गुनगा, कनेरा, शाहपुरा, देवपुरा, गोलखेड़ी, कोठार, चंदेरी, दुपड़िया, कालापीपल, बागापुरा, तारा सेवनिया, आचारपुरा, करारिया, सेमरीखुर्द, खितवास, चाचाहेड़ी, गोंदीपुरा, परवलिया, बरेलाखेड़ा, लहारपुरा समेत कई पंचायतों में लोग पानी के लिए परेशान हो रहे हैं।

सदस्य बोले- प्रोजेक्ट गांवों में शुरू नहीं और पैसा निकाल लिया जिपं सदस्य विनय मेहर ने कहा कि अधिकारी और ठेकेदारों की मिलीभगत से सरकार के पैसे का दुरुपयोग किया गया है। कई पंचायतें ऐसी हैं, जहां अभी भी नल-जल योजनाएं अधूरी हैं, पर पैसा पूरा निकाल लिया गया है। यदि जल स्तर नीचे चला गया है तो तुरंत वहां पर दूसरा ट्यूबवेल खनन करना चाहिए। ताकि ग्रामीणों को पर्याप्त पानी मिल सके। बावजूद ऐसा नहीं हो रहा है। इस कारण भोपाल की करीब 95% नल-जल योजना ठप पड़ी है। इसकी उच्च स्तरीय जांच होना चाहिए।

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