भोपाल के जेपी अस्पताल का बहुप्रतीक्षित 5 मंजिला नए भवन का प्लान एक बार फिर से अपडेट किया जा रहा है। यही नहीं, पहले कैथलैब बनाने के प्रोजेक्ट को कैंसिल करते हुए पुरानी टेंडर प्रक्रिया रोक दी गई। लेकिन यह मामला जब उप मुख्यमंत्री डॉ. राजेंद्र शुक्ल के संज्ञान में आया तो उन्होंने जल्द नए सिरे से टेंडर प्रक्रिया कर यह सुविधा शुरू करने के आदेश दिए हैं। हालांकि, चिंताजनक बात यह है कि इस लेटलतीफी का सीधा खामियाजा उन दिल के मरीजों को भुगतना पड़ेगा जिन्हें सरकारी इलाज की सबसे ज्यादा जरूरत है।
इधर, इस महीने की 30 तारीख को यह नया भवन अस्पताल प्रशासन को सौंपा जाना था। लेकिन, यह तीसरी डेडलाइन एक बार फिर, भवन अधूरा होने के कारण आगे बढ़ सकती है। अब तक भवन की चौथी मंजिल और पांचवी मंजिल का काम पूरा नहीं हुआ है। यही नहीं, इस नए भवन को पुराने भवन से जोड़ने का काम अब तक शुरू ही नहीं किया गया है।
सिर्फ कागजों पर ही रह गया प्रोजेक्ट साल 2023 में विभाग ने जेपी अस्पताल में 30 बेड की एक एडवांस कार्डियक यूनिट बनाने का प्रस्ताव मंजूर किया था। इसे अप्रैल 2024 तक शुरू किया जाना था, लेकिन बार-बार प्रोजेक्ट में देरी होती गई और इसके साथ ही इसकी लागत भी बढ़ती गई। इस बेहिसाब देरी और लागत वृद्धि का नतीजा यह हुआ कि कैथलैब (दिल से जुड़े ऑपरेशनों के लिए एक विशेष ऑपरेशन थिएटर) के लिए जरूरी मशीनों का टेंडर खुलने के बाद भी, इसे रद्द कर दिया गया। इस यूनिट में मॉडर्न कैथ लैब के साथ-साथ दिल की जटिल सर्जरी के लिए जरूरी सभी उपकरण होने का दावा किया गया था, लेकिन अब यह सब सिर्फ कागजों पर ही रह गया है।

मरीजों को महंगे इलाज के लिए होना पड़ेगा मजबूर कैथलैब के प्रोजेक्ट की देरी की सबसे ज्यादा मार गरीब और जरूरतमंद मरीजों पर पड़ेगी। दिल से जुड़ी जांचें और ऑपरेशन, जो सरकारी अस्पताल में बेहद कम या मुफ्त में होते हैं, अब उन्हें निजी अस्पतालों में लाखों रुपए खर्च करके करवाने पड़ेंगे।
दिसंबर तक शुरू होने की उम्मीद अस्पताल प्रबंधन के अनुसार, 30 जून को हैंडओवर होने के बावजूद नए भवन में अभी भी दो खंडों का निर्माण कार्य अधूरा है। इसके अलावा, इस नए भवन को पुराने भवन से जोड़ने के लिए दो फुट ओवरब्रिज भी बनाए जाने हैं, जिनमें समय लगेगा। इन परिस्थितियों को देखते हुए, अस्पताल प्रबंधन के लिए निर्माणाधीन बिल्डिंग में उपकरणों को शिफ्ट करना और मरीजों को इलाज मुहैया कराना जोखिम भरा हो सकता है। ऐसे में, संभव है कि अस्पताल प्रबंधन तय तारीख पर भवन का हैंडओवर लेने से इनकार कर दे। जिस गति से नए भवन का काम चल रहा है, उसे पूरा होने और इसमें इलाज शुरू होने में दिसंबर माह तक का समय लगने की उम्मीद है। भवन का निर्माण पूरा होने के बाद, इसमें उपकरण, बेड की शिफ्टिंग और नए उपकरणों की खरीद जैसे महत्वपूर्ण कार्य भी होंगे, जिसमें अतिरिक्त समय लग नए भवन की प्रस्तावित सुविधाएं और क्षमता जेपी अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. राकेश श्रीवास्तव ने बताया कि केंद्र और प्रदेश सरकार के सहयोग से यह नई 5 मंजिला बिल्डिंग बन रही है, जिसमें मॉडर्न सुविधाओं के साथ मरीजों के लिए हर सुविधा उपलब्ध होगी। वर्तमान में जेपी अस्पताल में 400 बेड हैं, और नए भवन के शुरू होने के बाद 240 और बेड जुड़ जाएंगे, जिससे कुल संख्या 640 हो जाएगी।
जल्द मिलेगा इलाज उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कहा कि जिला अस्पताल में कैथलैब के लिए नए सिरे से टैंडर प्रक्रिया कराई जा रहीं है। जल्द यह सुविधा जेपी अस्पताल में शुरू करने की तैयारी है।