मध्य प्रदेश सरकार के नए और सख्त नियमों से छोटे और मध्यम प्राइवेट स्कूलों में ताला लगाने की नौबत आ गई है। मध्य प्रदेश प्राइवेट स्कूल वेलफेयर संचालक मंच ने इसके विरोध में बुधवार को 74 बंगला स्थित स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह के घर के बाहर प्रदर्शन किया। इस दौरान रीवा, जबलपुर, सागर समेत प्रदेशभर से प्रभावित निजी स्कूल संचालक एकत्र हुए।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की तानाशाही और अव्यवहारिक नियमों के चलते 4,820 स्कूलों ने मान्यता के लिए आवेदन ही नहीं किया है। इससे 60 से 70 हजार शिक्षकों के बेरोजगार होने और शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत पढ़ने वाले सवा लाख से अधिक गरीब बच्चों के शिक्षा से वंचित होने का खतरा मंडरा रहा है।
नए नियम बने मुसीबत
संचालक मंच के प्रदेश अध्यक्ष शैलेष तिवारी के अनुसार, सरकार ने मान्यता के लिए कई ऐसे नियम थोप दिए हैं, जो छोटे स्कूलों के लिए असंभव हैं। इनमें रजिस्टर्ड किरायानामा, सुरक्षा निधि और भारी-भरकम मान्यता शुल्क प्रमुख हैं। रजिस्टर्ड किरायानामा सबसे बड़ी समस्या बनकर उभरा है, क्योंकि मकान मालिक इसके लिए तैयार नहीं हो रहे या फिर किराया और एडवांस बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। नए भवन में स्कूल बदलना भी एक महीने में संभव नहीं है और खुद की जमीन पर बिल्डिंग बनाना तो दूर की बात है।
गलत कागज देने वालों को मिली मान्यता जबलपुर से आए निजी स्कूल संचालकों ने आरोप लगाया कि अब नियम है कि रजिस्टर्ड किरायानामा जमा करना होगा। इसके बाद भी कई स्कूलों ने पुराने तरीके वाला सामान्य किरायानामा ही पोर्टल पर जमा किया, उन्हें मान्यता भी दे दी गई। हम ईमानदारी से अपनी बात रख रहे हैं, तो कोई सुनवाई नहीं हो रही। 22 दिन पहले हमने राज्य शिक्षा केंद्र के सामने भी प्रदर्शन किया था। अब तक अधिकारियों से लेकर जिम्मेदार लगातार हमारी मांगों को नजरअंदाज करते आ रहे हैं।
सरकार पर सोची-समझी रणनीति का आरोप
संचालक मंच के कोषाध्यक्ष मोनू तोमर ने कहा, यह सब प्राइवेट स्कूलों को आर्थिक रूप से कमजोर करने की सोची-समझी साजिश है। सरकार पिछले कई सालों से RTE के तहत गरीब बच्चों की फीस का भुगतान भी नहीं कर रही है। 2016 से 2022 तक के पैसे भी अधिकांश स्कूलों को नहीं मिले हैं, जबकि वे खुद एक दिन की देरी पर स्कूलों पर जुर्माना लगा देते हैं। उन्होंने सवाल किया कि जब 2011 में नोटरी कृत किराए-नामे पर मान्यता मिल जाती थी, तो अब शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने ये नए नियम क्यों थोपे हैं? यह सिर्फ राजस्व बढ़ाने और बड़े-बड़े स्कूलों को फायदा पहुंचाने की कोशिश है।
उग्र आंदोलन की चेतावनी
इन नियमों के विरोध में 4,820 स्कूलों ने शुरू से ही मान्यता के लिए आवेदन नहीं किया है। इन स्कूलों को बंद करने का दबाव बनाया जा रहा है, जबकि संचालक इन्हें चलाना चाहते हैं। मोनू तोमर ने कहा कि भोपाल में इकट्ठा हुए सभी प्राइवेट स्कूल संचालकों ने चेतावनी दी है कि अगर मान्यता पोर्टल नहीं खोला गया और RTE का पुराना व दो साल से रुका हुआ पैसा नहीं मिला, तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे और उग्र आंदोलन छेड़ेंगे।