रालामंडल में काले हिरण और चीतल का कुनबा बढ़ा, बच्चों को रास आया अभयारण्य
रालामंडल अभयारण्य में वन्यजीवों की संख्या बढ़ने लगी है। कुछ दिन पहले काले हिरण और चीतल ने बच्चों को जन्म दिया है। दोनों का कुनबा अब बढ़ने लगा है। चीतल की 72 और काले हिरण की 50 तक संख्या पहुंच चुकी है। दोनों बच्चों को अभयारण्य का माहौल रास आने लगा है। दिनभर में नन्हें महमानों को चीतल, काले हिरण घिरे रहते है। वहीं नीलगाय, खरगोश और मोरों की संख्या भी बढ़ गई है।
2013 में वन विभाग ने रालामंडल में एनिमल जोन बनाया। 13 हैक्टेयर में फैले जोन में वन विहार से 28 हिरण-चीतल को लाया गया था। दो बार इन्हें भोपाल से लाया गया। 2014 में विभाग ने डियर सफारी शुरू की। बेंगलुरू से पांच लाख की गोल्फ कार बुलवाई। शुरुआत में सफारी का महज 20 रुपये किराया वसूला गया। पर्यटकों ने काफी पसंद किया। खासकर छोटे बच्चों के लिए इन्हें नजदीक से देखना काफी पसंद है। सात साल में 50 काले हिरण और 72 चीतल हो चुके है।
इसके साथ ही डियर सफारी का सफर भी महंगा हो चुका है। 50 रुपये किराया पर्यटकों से वसूला जा रहा है। भले ही देखने वालों की संख्या घटी है, लेकिन अभयारण्य की आय में बढ़ोत्तरी हुई है। कारण यह है कि किराया बढ़ा दिया है। तत्कालीन एसडीओ आरसी चौबे ने वन्यप्राणियों के भोजन के लिए दाल, मक्का भी उगाया है। इसके चलते विभाग को वन्य प्राणियों के खाने की चिंता नहीं है। डीएफओ नरेंद्र पंडवा का कहना है कि जानवरों की गणना कुछ दिन पहले अभयारण्य में करवाई थी।