सगी मांओं ने दुत्कारा, इन ‘मांओं’ ने संभाला:भोपाल में नर्सें दे रहीं लावारिसों को मां का प्यार, बोलीं- एक बच्चे को देख रोना आ गया
सगी मांओं ने दुत्कारा, इन ‘मांओं’ ने संभाला:भोपाल में नर्सें दे रहीं लावारिसों को मां का प्यार, बोलीं- एक बच्चे को देख रोना आ गयाभोपाल2 मिनट पहलेकई महिलाएं बच्चे को जन्म देने के बाद उसे लावारिस हालत में फेंक देती हैं। ऐसे लावारिस मिलने वाले मासूम कई बार सुनसान जगहों पर, तो कई बार नाली में, कांटों और गंदगी के बीच पड़े मिलते हैं। इतनी विपरीत परिस्थितियों में भी जिन नवजातों की सांसें बच जाती हैं। उन्हें भोपाल में जेपी अस्पताल के SNCU की स्टाफ नर्सें उपचार के साथ मां का प्यार भी देती हैं। गंभीर रूप से बीमार नवजातों के जख्मों पर मरहम लगाने से लेकर उन्हें नहलाना-धुलाना, भोजन कराना, साफ-सफाई करने और सुलाने का काम भी बिल्कुल मां की तरह करती हैं। जब वे बच्चे ठीक होकर शिशु गृह जाने लगते हैं, तो भावनात्मक रूप से उनकी इन यशोदा माताओं की आंखों में आंसू तक आ जाते हैं।…
जब कांटों में मिला था नवजात
जेपी हॉस्पिटल के SNCU में पिछले 14 सालों से सेवाएं दे रही स्टाफ नर्स मीनाक्षी पिल्लई बताती हैं कि एक नवजात कांटों में पड़ा मिला था। उसकी हालत खराब थी। शरीर में चीटियां चिपकी थीं। कान-सिर में कांटे लगे थे। जब उसे पुलिस यहां लेकर आई, तो उसकी हालत देखकर रोना आ गया था, लेकिन उसे हमने अपने बच्चे की तरह रखा। वजन कम होने के कारण उसकी स्पेशल केयर की गई। करीब पांच महीने वह हमारे बीच रहा। उसका नाम शिवा रखा था। जब उसे किलकारी संस्था के सुपुर्द किया जा रहा था, तो हमारी साथी स्टाफ में कोई ऐसा नहीं था, जिसकी आंखों से आंसू न आए हों। जब भी किसी की शिफ्ट खत्म होती, तो ये बताकर जाते थे कि उसे क्या खिलाना है, कौन सी दवा कितने बजे देनी है।