विदिशा से शिवराज, भोपाल से आलोक शर्मा सबसे आगे
मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीटों पर दावेदारों का पैनल बुधवार को दिल्ली में हुई बैठक में तैयार कर लिया गया है। कुछ सीटों पर सिंगल नाम भी हैं। विदिशा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भोपाल सीट से पूर्व महापौर आलोक शर्मा का नाम सबसे आगे है।
ग्वालियर सीट से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को उतारा जा सकता है। यदि किसी एक सीट से महाराष्ट्रीयन ब्राह्मण को टिकट देना तय किया जाता है तो ग्वालियर से यशवंत इंद्रापुरकर को उतारा जाएगा। ऐसे में सिंधिया को उनकी परंपरागत सीट गुना-शिवपुरी से मैदान में उतारे जाने का भी विकल्प है। इसी तरह इंदौर से वर्तमान सांसद शंकर लालवानी को भी रिपीट किए जाने पर सहमति बन गई है। हालांकि, अधिकतर सीटों पर नए चेहरे ही मैदान में उतारे जाएंगे।
आज शाम होगी केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक
BJP सूत्रों का कहना है कि दिल्ली में करीब ढाई घंटे तक चली इस बैठक में जिन नामों पर सहमति बन गई है, उनका टिकट केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) की हरी झंडी के बाद घोषित कर दिया जाएगा। यह बैठक आज 29 फरवरी को दिल्ली में प्रस्तावित है। जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहेंगे। मध्यप्रदेश से इस बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा शामिल होंगे।
भाजपा सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली मुख्यालय में बुधवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश समेत प्रदेश के नेताओं से विचार-विमर्श किया।
बैठक में डॉ. मोहन यादव, वीडी शर्मा, पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल, उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला, नगरीय विकास व आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, संगठन महामंत्री हितानंद मौजूद थे।
CEC की बैठक में पहले चरण में घोषित होने वाले प्रत्याशियों के नामों पर मुहर लग सकती है। इसके बाद देशभर में 100 से 105 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा होना तय है। इसमें मध्यप्रदेश की छिंदवाड़ा सहित करीब 8 सीटें शामिल हो सकती हैं।
MP की लोकसभा सीटों को 2 हिस्सों में बांटा
सूत्रों की मानें तो बीजेपी ने प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों को दो हिस्सों में बांटा है। पहली श्रेणी में उन सीटों को शामिल किया गया है, जिनको भाजपा के सर्वे में सुरक्षित माना गया है। इनमें भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, विदिशा, दमोह, सतना, सागर, मुरैना, बालाघाट, सीधी, खरगोन, होशंगाबाद, देवास, खजुराहो और बैतूल सीट शामिल हैं।
दूसरी श्रेणी में वे सीटें हैं, जहां चुनाव चिह्न के साथ उम्मीदवार का चेहरा भी मायने रखता है। इनमें गुना, मंदसौर, रतलाम, धार, खंडवा, मंडला, उज्जैन, राजगढ़, शहडोल, भिंड, रीवा, टीकमगढ़ और छिंदवाड़ा सीटें हैं। इनमें से सिर्फ छिंदवाड़ा सीट ऐसी है, जो 2019 में भाजपा हार गई थी।
मौजूदा 28 सांसदों में से 21 बदले जा सकते हैं
फिलहाल एमपी की 29 लोकसभा सीटों में से 28 पर बीजेपी का ही कब्जा है। सूत्रों की मानें तो भाजपा इन 28 में से 21 सांसदों के टिकट काट सकती है। बीजेपी ने अपने 7 सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतारा था। इनमें से 5 सांसद जीते थे जबकि 2 को हार का सामना करना पड़ा था। इन सातों सीटों पर पार्टी नए उम्मीदवार उतार सकती है। इनके अलावा 14 और सांसदों के टिकट बदले जा सकते हैं।