राजधानी के सर्राफा बाजार में बुधवार रात एक किशोर करंट की चपेट में आ गया। परिजनों की सूझबूझ और हमीदिया अस्पताल के डॉक्टरों की तत्परता ने बच्चे को नया जीवन दिया है। परिजन जब किशोर को लेकर अस्पताल पहुंचे, तब उसकी दिल की धड़कन रुक चुकी थी और शरीर पीला पड़ गया था। डॉक्टरों ने तुरंत सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) दिया और उसकी दिल की धड़कन लौट आई।
बुधवार रात करीब 10 बजे 15 वर्षीय किशोर अपने घर के वॉशरूम में गया था। अचानक उसके गिरने की तेज आवाज आई। परिजन जब तक मौके पर पहुंचे, बच्चा जमीन पर बेहोश पड़ा था। पास में ही एक खुला बिजली का तार था, जिससे स्पष्ट हो गया कि बच्चा करंट लगने से बेहोश हुआ है। परिजनों ने घबराए बिना, समझदारी दिखाते हुए सबसे पहले उस खुले तार को हटाया और तुरंत बच्चे को लेकर हमीदिया अस्पताल की इमरजेंसी में पहुंचे।
हमीदिया में मिला नया जीवन हमीदिया अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार, बच्चा रात 11 बजे के करीब अस्पताल लाया गया, तब उसकी दिल की धड़कन पूरी तरह से रुकी हुई थी और शरीर पीला पड़ चुका था। ऐसे में, ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टरों ने बिना एक पल गंवाए, बच्चे को तुरंत सीपीआर देना शुरू किया।
डॉक्टरों के इस प्रयास से बच्चे की धड़कन वापस लौट आई, जिसने उसे नया जीवन दिया। अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि बच्चे की जान बचाने में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ का अहम योगदान रहा। ऐसे समर्पण से मरीजों का अस्पताल के प्रति विश्वास बढ़ता है।
सीपीआर के बाद शॉक थेरेपी बनी वरदान बच्चे का इलाज करने वाली टीम के सदस्य सीनियर रेजिडेंट डॉ. अभिषेक तिवारी ने बताया कि सीपीआर देने के बाद बच्चे की धड़कन तो लौट आई थी, लेकिन वह वेंट्रिकुलर टैकीकार्डिया (VT) की स्थिति में पहुंच गया था। डॉ. तिवारी ने समझाया, वीटी दिल की धड़कन से जुड़ा एक ऐसा विकार है जिसमें दिल के निचले चैंबर (वेंट्रिकल्स) बहुत तेजी से धड़कने लगते हैं।
आमतौर पर, जब दिल 1 मिनट में 100 से ज्यादा बार धड़कता है और ऐसी कम से कम तीन असामान्य धड़कनें लगातार आती हैं, तो इसे वीटी माना जाता है। इस तेजी से धड़कने की वजह से दिल पूरे शरीर में खून को ठीक से पंप नहीं कर पाता। यदि यह समस्या लंबे समय तक बनी रहे तो यह खतरनाक हो सकती है और इससे अचानक मौत भी हो सकती है।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, डॉक्टरों ने तत्काल किशोर को शॉक थेरेपी दी। यह थेरेपी पूरी तरह से सफल रही और कुछ देर बाद किशोर होश में आ गया। फिलहाल किशोर को मेडिसिन विभाग में भर्ती कराया गया है, जहां उसका इलाज चल रहा है और उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
जरा सी भी देरी घातक हो सकती थी डॉ. तिवारी ने ऐसी आपातकालीन स्थितियों के महत्व पर जोर देते हुए कहा, ऐसे मामलों में, सभी को सीधे अस्पताल जाना चाहिए।
यह बच्चा इसका एक व्यवहारिक उदाहरण है। यदि बच्चे को अस्पताल पहुंचने में थोड़ी भी देरी होती और लंबे समय तक उसकी दिल की धड़कन बंद रहती, तो उसे फिर से जीवित करना लगभग असंभव हो जाता।
इस सफल इलाज में इमरजेंसी विभाग में कार्यरत डॉ. अभिषेक तिवारी, डॉ. नीरज मिश्रा, डॉ. राजकुमार पाल, डॉ. दृश्या के साथ-साथ नर्सिंग ऑफिसर साजिद, मंजू और माधुरी की महत्वपूर्ण भूमिका रही। उनकी त्वरित कार्रवाई और टीम वर्क ने एक मासूम की जान बचाई। ऐसे दें CPR डॉक्टरों ने सीपीआर के सही तरीके को बताया। उन्होंने कहा यदि किसी व्यक्ति की गले की पल्स व सांस बंद हो तो 30-30 के सेट में 5 बार CPR दें।
स्टेप बाय स्टेप समझें कैसे देनी है CPR
चरण 1: सुरक्षा और स्थिति का आकलन
- सबसे पहले, यह सुनिश्चित करें कि आप और पीड़ित व्यक्ति दोनों सुरक्षित स्थान पर हों।
- व्यक्ति को आवाज देकर जगाने की कोशिश करें या कंधे पर थपथपाएं।
- पीड़ित की छाती पर नजर डालें कि वह ऊपर-नीचे हो रही है या नहीं। यदि सांस नहीं चल रही है तो इसका मतलब है कि व्यक्ति को कार्डियक अरेस्ट हुआ है।
- गर्दन में कंठ के बगल से कैरोटिड पल्स को चेक करें। यदि पल्स महसूस नहीं हो रही है या अनिश्चित है, तो तुरंत सीपीआर शुरू करें। पल्स चेक करने में 10 सेकेंड से ज्यादा का समय न लगाएं।
- तुरंत किसी से 108 पर कॉल करने और एम्बुलेंस बुलाने के लिए कहें।

चरण 2: सीपीआर शुरू करें
- पीड़ित को एक सपाट, सख्त सतह पर सीधा लिटाएं।
- अपनी एक हथेली को पीड़ित की छाती के ठीक बीच में, निप्पल लाइन के बीच रखें। अपनी दूसरी हथेली को पहली हथेली के ऊपर रखें और उंगलियों को आपस में फंसा लें।
- अपनी कोहनियों को सीधा रखें और कंधों से सीधे हाथों को ऊपर लाएं।
- छाती को कम से कम 2 इंच (लगभग 5 सेंटीमीटर) नीचे दबाएं, लेकिन 2.4 इंच (6 सेंटीमीटर) से अधिक नहीं।
- प्रति मिनट 100 से 120 बार की दर से छाती को दबाएं। (यह लगभग 15 सेकेंड में 25-30 बार दबाने के बराबर है)।
- प्रत्येक दबाव के बाद, छाती को पूरी तरह से अपनी सामान्य स्थिति में लौटने दें। इससे हृदय में रक्त भरने का मौका मिलता है।
- 30 बार छाती को लगातार दबाएं।
- आपको ऐसे 5 चक्र पूरे करने हैं। यदि सांस चलने लगे और पल्स लौट आए तो रुक जाएं। ऐसा ना होने पर एक बार फिर सीपीआर शुरू करें। इसे बिना रुके जारी रखना सबसे महत्वपूर्ण है, जब तक कि मदद न पहुंच जाए।