दानिशकुंज में घर खरीदने पर मुझे नक्सलियों से मरवाने की धमकियां दी गई थी। डर के मारे मैंने यह घर बेच दिया।
यह कहना है हितेश बठेजा का। शिक्षा विभाग में उप सचिव आईएएस मंजूषा राय के घर के एग्रीमेंट, नामांतरण और रजिस्ट्री विवाद में बठेजा का नाम भी सामने आया। शनिवार को बठेजा सामने आए। उन्होंने कहा कि मैंने तो मकान बेच दिया। इस विवाद में मेरा कोई लेना-देना नहीं है।
बता दें कि शुक्रवार को दानिशकुंज कॉलोनी में 1800 स्क्वायर फीट जमीन पर बने मकान को लेकर विवाद सामने आया था। इस मकान में आईएएस राय और उनका परिवार रहता है। सूचना मिलने पर प्रशासनिक अफसर भी मौके पर पहुंचे।
दोनों पक्षों को समझाइश दी गई, लेकिन उनके हटने के बाद में उन्होंने जेसीबी लगाकर मकान को तोड़ना शुरू कर दिया। शनिवार को भी कुछ लोग पहुंचे और तोड़फोड़ शुरू करने लगे। आईएएस राय की तरफ से कहा गया कि कई लोग लगातार तोड़फोड़ कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन और पुलिस का सहयोग नहीं मिल रहा है।

मैंने प्रॉपर्टी बेच दी, अब मेरा कोई लेना-देना नहीं इधर, बठेजा सामने आए। इन पर ही मकान को तुड़वाने के आरोप आईएएस राय और उनके परिजनों ने लगाए हैं। बठेजा ने बताया कि यह मकान मैंने पत्नी के नाम से 10 जून 2025 को विधिवत संपूर्ण भुगतान कर रजिस्ट्री कार्यालय में पंजीयन कराकर खरीदा था।
उसी दिनांक को कब्जा भी ले लिया था। कुछ दिन बाद हमें आईएएस राय के पति विक्रांत राय एवं उनके देवर शशांक शेखर राय द्वारा नक्सलियों से जान से मार देने की धमकी दी जाने लगी। कहा कि आपने मकान खरीदकर गलत किया। हम आपको कहीं का नहीं छोड़ेंगे।
इसकी शिकायत मैंने पुलिस कमिश्नर, अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर और कोलार थाने में की। इसके बाद भी धमकियों का दौर जारी रहा तो मैंने 30 जुलाई को यह मकान धर्मेंद्र सिंह ठाकुर को बेच दिया। इस तारीख के बाद इस संपत्ति से मेरा या परिवार का कोई लेना-देना नहीं है। अब इसके मालिक ठाकुर हैं।
आईएएस ने यह की है शिकायत
आईएएस राय के अनुसार, शुक्रवार को 40 से अधिक गुंडे घर पर पहुंचे और तोड़फोड़ शुरू कर दी। इसकी उन्होंने सीनियर अफसरों से शिकायत भी की है। इसमें कहा है कि मकान नंबर-595 दानिश कुंज में रंजना अहमद से पति विक्रांत प्रवीण राय ने 16 दिसंबर-10 में 41 लाख रु में विक्रय अनुबंध कर क्रय किया था। यह डुप्लेक्स मकान है। रंजना अहमद की मृत्यु के बाद उसके पुत्र सईद फरीद अहमद परिवर्तित नाम रिदित अरोड़ा को शेष बची हुई राशि मकान के एवज में अपने स्वयं के खाते से एवं मेरे पति के बचत खाते से भुगतान की गई।
साल 2021 में रिदित अरोड़ा द्वारा नायब तहसीलदार न्यायालय में नामांतरण के लिए दो बार आवेदन लगाए गए थे। जिन्हें दस्तावेज के अभाव में खारिज कर दिया था। रिदित अरोड़ा की सहमति से पारिवारिक आवश्यकताओं को दृष्टिगत रखते हुए हमारे द्वारा उक्त संपत्ति में अतिरिक्त निर्माण कार्य भी कराया था। इसका भुगतान मैंने अपने स्वयं के खाते से किया था।
बाद में 17 मार्च 2025 में उक्त संपत्ति पर रंजना अहमद के पुत्र रिदित अरोड़ा का नामांतरण अतिरिक्त तहसीलदार कोलार ने किया और 10 जून में उक्त संपत्ति का विक्रय अरोड़ा ने मोना पति हितेश बठेजा को कर दिया। हमारे संज्ञान में उक्त रजिस्ट्री और नामांतरण के आने के पश्चात कोलार एसडीएम कोर्ट में नामांतरण के विरुद्ध अपील की गई। तहसीलदार कोर्ट में मोना बठेजा के पक्ष में नामांतरण न हो, इस संबंध में आपत्ति भी लगाई गई। प्रकरण राजस्व न्यायालय में विचाराधीन है।
उन्होंने कहा कि हमारे सभी रिकॉर्ड में इसी मकान का नाम दर्ज है। इस संबंध में एसडीएम और तहसीलदार के यहां आपत्ति लगाई गई है।