जमीअत उलमा मध्यप्रदेश ने एक बार फिर मसाजिद कमेटी से इमाम और मुअज्जिन हजरात के मासिक वेतन में बढ़ोतरी की मांग दोहराई है। जमीअत के प्रेस सचिव हाजी मोहम्मद इमरान ने कहा कि आज के महंगाई भरे दौर में चार से पांच हजार रुपए मासिक वेतन में इमाम और मुअज्जिन का गुजारा संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि मसाजिद कमेटी को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करते हुए न सिर्फ वेतन में बढ़ोतरी करनी चाहिए, बल्कि समय पर वेतन भुगतान भी सुनिश्चित करना चाहिए।
हाजी इमरान ने बताया कि जमीअत उलमा मध्यप्रदेश लंबे समय से अपने प्रदेश अध्यक्ष हाजी मोहम्मद हारून के नेतृत्व में यह मांग उठाती आ रही है कि इमाम और मुअज्जिन को उनके कार्य के अनुरूप मानदेय दिया जाए। उन्होंने कहा कि मसाजिद कमेटी के अधीन आने वाली मस्जिदों में 24 घंटे सेवा देने वाले इमाम-मुअज्जिन हजरात को सम्मानजनक वेतन मिलना चाहिए ताकि वे अपने परिवार का पालन-पोषण आसानी से कर सकें। जमीअत ने यह भी कहा कि मसाजिद कमेटी द्वारा “मर्जर एग्रीमेंट” के तहत शहर की मस्जिदों में पेश इमामों की नियुक्ति को गंभीरता से लिया जाए और लंबित पदों पर जल्द नियुक्ति की जाए।
वहीं, निकाह ख्वाह (हल्का काज़ी) की फीस में बढ़ोतरी को लेकर भी जमीअत ने मसाजिद कमेटी से आग्रह किया है। फिलहाल निकाह हल्का काज़ी को 375 रुपए और उनके नायब को ह 125 रुपए दिए जाते हैं। जमीअत का कहना है कि यह राशि बहुत कम है, इसलिए निकाह हल्का काज़ी को 700 रुपए और नायब को 300 रुपए मानदेय दिया जाना चाहिए, ताकि उन्हें भी कुछ राहत मिल सके। जमीअत उलमा ने कहा कि यह मुद्दा केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक सम्मान और धार्मिक जिम्मेदारी से भी जुड़ा है। इसलिए मसाजिद कमेटी और प्रदेश सरकार को इस विषय पर संवेदनशील होकर ठोस कदम उठाने चाहिए।




