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बेटी को किडनी देने आए पिता को आया अटैक, मौत

भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज पहुंचे एक शख्स की हार्ट अटैक से मौत हो गई। खास बात है कि वह प्राइवेट अस्पताल में भर्ती अपनी बेटी की किडनी ट्रांसप्लांट के लिए अंगदान की मंजूरी लेने आए थे। घटना गुरुवार को उस वक्त हुई, जब वह डिवीजनल कमेटी के सामने डोनर वेरिफिकेशन की प्रोसेस कर रहे थे। मरीज के पिता को घटनास्थल पर संभागीय कमेटी में शामिल डॉक्टर ने सीपीआर दी, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।

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कोहेफिजा के रहने वाले बृजेंद्र मर्सकोले के मुताबिक अरुण कुमार (53) दिल्ली में गौतम बुद्ध नगर में रहते थे। वह भोपाल में प्रायवेट नौकरी करते थे। भोपाल में रहने वाली उनकी 31 वर्षीय बेटी की किडनी खराब हो गई थी। अरुण कुमार ने बेटी को किडनी डोनेट करने का फैसला किया। गुरुवार को हमीदिया अस्पताल में खून और अन्य जांच रिपोर्ट के बाद किडनी डोनेशन की तैयारी की जा रही थी।

काउंसलिंग के दौरान आया था चक्कर

किडनी ट्रांसप्लांट के पूर्व डॉक्टरों का पैनल काउंसलिंग कर डोनर को बाद में बरती जानी वाली सावधानियों के बारे में बताता है। गांधी मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों का पैनल उनकी काउंसलिंग कर रहा था। इसी दौरान, अरुण कुमार को चक्कर आया और वह बेसुध हो गए। उन्हें तुरंत ही हमीदिया अस्पताल में जाया गया, जहां मृत घोषित कर दिया गया। सूचना मिलने पर पुलिस ने मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी है।

प्राइवेट हॉस्पिटल में होना है सर्जरी

अरुण कुमार की बेटी बंसल हॉस्पिटल में भर्ती है। उसकी किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी होना है। बेटी के लिए डोनेट कर रहे थे। अरुण कुमार के दामाद आनंद ठाकुर ने बताया कि मेरी वाइफ का किडनी ट्रांसप्लांट होना था। इसके लिए हमीदिया अस्पताल में काउंसलिंग होनी थी। हम डोनर और रिसीवर दोनों को लेकर 12 बजे पहुंच गए थे। अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। करीब डेढ़ बजे नंबर आया। हम अंदर गए। डॉक्टर्स ने ससुर जी से कई तरह के सवाल किए। इतने में वह बेहोश हो गए। डॉक्टर्स ने उन्हें सीपीआर दिया और एंबुलेंस को बुलाया। एंबुलेंस जीएमसी के पास स्थित लाइब्रेरी बिल्डिंग में करीब 10 मिनट में आई। इसके बाद हम वहां इमरजेंसी में पहुंचे। वहां उनका ईसीजी प्लेन आया। पता चला कि उनकी डेथ हो गई है।

सभी रिपोर्ट में थे फिट
आनंद ठाकुर ने बताया कि वाइफ का किडनी ट्रांसप्लांट बंसल अस्पताल में होना था। इसे लेकर ससुर जी के टेस्ट वहां हुए थे। इसमें खास तौर बंसल अस्पताल से कार्डियक क्लियरेंस भी थे। वहीं, अन्य जांचों में भी फिट पाए गए थे। उनको आम तौर पर भी कोई बीमारी नहीं थी।

इन टेस्ट में पास ​हो गए थे

  • सबसे पहले डोनर के कुछ मेडिकल टेस्ट किए जाते हैं। यह जानने के लिए कि व्यक्ति डोनेशन के लिए उपयुक्त है या नहीं।
  • इन टेस्ट में सबसे महत्वपूर्ण दो पहलू हैं। डोनर और रिसीवर की कंपैटिबिलिटी और डोनर की मेडिकल कंडीशन यानी उसका शारीरिक रूप से स्वस्थ होना।
  • सारे टेस्ट रिजल्ट पॉजिटिव होने और डॉक्टर की एथिकल कमेटी डोनेट करने के लिए सर्टिफिकेट जारी करती है। इसी सर्टिफिकेट के आधार पर किडनी ट्रांसप्लांट होनी थी।
https://www.highratecpm.com/npsxwf16?key=565d06ab35720384afe881c0e7364770