ग्वालियर के डीडी नगर स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक में एक महिला ने नकली सोना गिरवी रखकर 2.14 लाख रुपए का गोल्ड लोन ले लिया। बैंक ने सोने की जांच तीन बार कराई थी, लेकिन हर बार रिपोर्ट सही आई। महिला ने इसके बाद एक भी किस्त जमा नहीं की।
जब बैंक ने सोने की दोबारा जांच कराई तो पता चला कि सोने पर 22 कैरेट की मोटी परत चढ़ी थी। पुलिस में लंबे समय तक सुनवाई न होने पर बैंक प्रबंधन ने कोर्ट का रुख किया, जहां से पांच साल बाद FIR दर्ज करने के आदेश जारी किए गए।
कैसे हुआ गोल्ड लोन का फर्जीवाड़ा
महाराजपुरा दीनदयाल नगर निवासी पूनम सिरोलिया पत्नी योगेश सिरोलिया ने 30 सितंबर 2020 को इंडियन ओवरसीज बैंक, डीडी नगर शाखा से गोल्ड लोन के लिए आवेदन दिया था।बैंक ने गोल्ड की जांच के लिए अपने अनुबंधित ज्वेलर्स बीपी ज्वेलर्स को बुलाया। ज्वेलर सोमनाथ सोनी ने गहनों की जांच कर उन्हें 22 कैरेट हॉलमार्क वाला असली सोना बताया। इसके बाद बैंक ने पूनम को 2 लाख 14 हजार 800 रुपए का लोन स्वीकृत कर दिया।
किस्त नहीं भरी तो खुला मामला
लोन मिलने के बाद पूनम सिरोलिया ने एक भी किस्त जमा नहीं की। कई बार नोटिस देने के बावजूद जब भुगतान नहीं हुआ, तब बैंक प्रबंधन को शक हुआ।लोन की वसूली प्रक्रिया के दौरान जब गिरवी रखे सोने की दोबारा जांच कराई गई तो सोना नकली निकला। ज्वेलर्स ने बताया कि गहनों पर ऊपर से सोने की परत चढ़ाई गई थी और वास्तविक गुणवत्ता 16 कैरेट से भी कम थी।
शिकायत पर पुलिस करती रही टालमटोल
नकली सोना मिलने के बाद तत्कालीन बैंक मैनेजर ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराने के लिए महाराजपुरा थाने में शिकायत दी।लेकिन पुलिस ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद बैंक अधिकारी ने पूनम सिरोलिया, बीपी ज्वेलर्स और उस समय लोन स्वीकृत करने वाले बैंक अधिकारी के खिलाफ कोर्ट में परिवाद दायर किया।
कोर्ट के आदेश पर हुई FIR दर्ज
लंबी सुनवाई के बाद गुरुवार को न्यायालय ने महाराजपुरा पुलिस को आदेशित किया कि तीनों आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज किया जाए।आदेश मिलते ही पुलिस ने पूनम सिरोलिया, बीपी ज्वेलर्स और तत्कालीन गोल्ड लोन अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया।
सब इंस्पेक्टर राजीव सिंह सोलंकी को जांच सौंपी गई है। उन्होंने बताया कि मामले की बारीकी से पड़ताल की जा रही है।




