चपरासी, बैंक मैनेजर ने सरकार के ₹10 करोड़ हड़पे:इस पैसे से जमीन खरीदी, लोन लेकर गबन की रकम चुकाने का था प्लान
भोपाल में राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था के चपरासी ने 10 करोड़ रुपए का घोटाला कर डाला। सरकारी योजना की 5-5 करोड़ रुपए की 2 एफडी (फिक्स डिपोजिट) तोड़कर उसने रकम अपने बैंक खाते में डलवा ली। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का तत्कालीन बैंक मैनेजर और 5 अन्य लोग भी उसके साथ शामिल हैं।
शनिवार को चपरासी, यस बैंक के मैनेजर समेत 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। सेंट्रल बैंक का तत्कालीन मैनेजर फरार है। आरोपियों ने सरकारी पैसे से जमीन खरीदी। उनका प्लान जमीन पर लोन लेकर गबन की गई रकम चुकता करने का था। वे इसमें सफल हो पाते, ऑडिट में हेरफेर पकड़ में आ गई।
सितंबर में दर्ज किया गया था केसडीसीपी रियाज इकबाल के मुताबिक, चपरासी और शहर के इमामी गेट स्थित सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के तत्कालीन मैनेजर के खिलाफ 15 सितंबर को केस दर्ज किया गया था। राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था के प्रमुख सुखदेव प्रसाद अहिरवार ने थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया था कि 30 नवंबर 2023 को संस्था ने इमामी गेट स्थित सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में 5-5 करोड़ रुपए की 2 एफडी बनवाई थी। पिछले दिनों पता चला कि दोनों
ही एफडी तोड़कर पूरी राशि संस्था के चपरासी बृजेंद्र दास नामदेव के एचडीएफसी बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी गई है।
इस एफडी पर मिले ब्याज की 66 लाख रुपए की राशि भी बृजेंद्र दास के खाते में चली गई। बाद में जब जांच की गई, तो पता चला इस मामले में फर्जी कागजों का उपयोग किया गया है। पुलिस के अनुसार, सेंट्रल बैंक के तत्कालीन मैनेजर नोएल सिंह की मिलीभगत भी सामने आ रही है। नोएल का तबादला होने के बाद वे मुंबई चले गए हैं।
किसकी-क्या भूमिका
- चपरासी बृजेंद्र दास नामदेव (53): गुढ़ (रीवा) का रहने वाला है, फिलहाल गौतमनगर, थाना गोविंदपुरा (भोपाल) में रहता है। एमपी राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था में चपरासी है। अपने विभाग की फर्जी सील के आधार पर कूटरचित दस्तावेज तैयार किए। सेंट्रल बैंक के तत्कालीन मैनेजर नोयल सिंह की मदद से एफडी तुड़वाकर 10 करोड़ रुपए की डीडी बनवाई। रकम यस बैंक में खोले फर्जी खाते में ट्रांसफर कराई।
- राज्य बीज प्रमाणीकरण का कर्मी दीपक पंथी (44): गंज मोहल्ला, विदिशा का रहने वाला है। मध्यप्रदेश राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था में सहायक ग्रेड-3 पद पर पदस्थ है। संस्था की बैंकिंग संबंधी जानकारी को अन्य साथियों के साथ साझा करता था। अपनी निगरानी में रखे संस्था के जरूरी दस्तावेजों को घटना में इस्तेमाल किए। धोखाधड़ी करने के लिए कूटरचित दस्तावेज तैयार करने में मदद की।
- पूर्व यस बैंक कर्मचारी धनंजय गिरी (48): भोपाल के रोहित नगर, बाबड़िया कला, थाना शाहपुरा का रहने वाला है। यस बैंक (एमपी नगर, भोपाल) में सीनियर सेल्स मैनेजर था। आरोपियों से मिलीभगत कर सरकारी रुपए का गबन करने के लिए फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बगैर सत्यापन किए बैंक खाते खोले। इसके बाद राशि को अलग-अलग फर्म के खातों में ट्रांसफर करवा दी।
- ज्योतिषाचार्य शैलेंद्र प्रधान उर्फ आचार्य बाबा (62): रामायण बिल्डिंग, कटाराहिल्स (भोपाल) का रहने वाला है। गुरू सानिध्य ज्योतिष केंद्र का संचालक है। अपने केंद्र में आने वाले लोगों को गुमराह कर उनके नाम पर फर्जी फर्म तैयार की। उनके नाम पर अलग-अलग बैंक में चालू खाते खुलवाए। इन खातों की मदद से गबन की रकम को ट्रांसफर करवाया। पैसे को खाता धारकों से नगदी के रूप में प्राप्त किया।
- राजेश शर्मा (50): होलमार्क सिटी, कोलार रोड (भोपाल) का रहने वाला है। शर्मा एंड संस (रातीबड़, भोपाल) का संचालक है। इसका काम अपने खाते में फर्जी बिलों के आधार पर गबन की राशि को ट्रांसफर करवाना था। इस राशि में से अपना कमीशन काटकर मुख्य आरोपियों को नगदी के रूप में दे दिया करता था ।
- पीयूष शर्मा (44): सिंधी कॉलोनी (सीहोर) का रहने वाला है। हरसिद्धि इंटरप्राइजेज का संचालक है। अपने खाते में फर्जी बिलों के आधार पर गबन की राशि को ट्रांसफर करवाता था। बाद में यह रकम अपना कमीशन काटकर मुख्य आरोपियों को कैश में दे दिया करता था।
सेंट्रल बैंक का तत्कालीन मैनेजर फरार
- सेंट्रल बैंक का पूर्व मैनेजर नोएल सिंह: फिलहाल फरार है। तीन महीने पहले तक उसकी पोस्टिंग मुंबई में रही है। एफआईआर दर्ज होने के बाद से ही उसका मोबाइल फोन बंद है। उसकी गिरफ्तारी के बाद साफ हो सकेगा कि अन्य कौन-कौन अधिकारी इस फर्जीवाड़े में शामिल थे। इससे पहले उसने कितने और फर्जीवाड़े इसी प्रकार अंजाम दिए हैं।