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भोपाल में 16 किसान संगठनों का सत्याग्रह

मप्र में किसान सोयाबीन के दाम 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल किए जाने को लेकर पिछले एक महीने से आंदोलित हैं। आज भोपाल में प्रदेश के करीब 16 किसान संगठन नीलम पार्क में सत्याग्रह कर रहे हैं।सोयाबीन, गेहूं, चना, मक्का सहित तमाम फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने और MSP की कानूनी गारंटी देने जैसी तमाम मांगों को पूरा करने के लिए डटे हुए हैं।

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बेडियां डालकर पहुंचे किसान नेता इस सत्याग्रह में शामिल होने के लिए कटनी के किसान नेता एके खान हाथ-पैरों में बेडियां डालकर पहुंचे। एके खान का कहना है कि किसानों की आय दोगुनी करने का वादा करने वाली सरकार अब किसानों की सुन नहीं रही है। बल्कि सरकार पूंजीपतियों के हिसाब से फैसले ले रही है। हमारी मांग है कि सोयाबीन, गेहूं, मक्का, चना सहित तमाम फसलों की एमएसपी किसानों की लागत के हिसाब से तय हो और एमएसपी की कानूनी गारंटी दी जाए।

पूर्व विधायक और संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय कोर कमेटी मेंबर डॉ.सुनीलम ने भास्कर से कहा-

इस किसान सत्याग्रह में शामिल किसान संगठनों की मुख्य मांग यह है कि जो भी कृषि उत्पाद हैं वह पूरा सरकार के द्वारा खरीदा जाए। अभी यह हो रहा है जब से यह मध्य प्रदेश के किसान संगठनों ने आंदोलन चालू किया तो इतना यह हो गया कि सरकार ने पहली बार ये कहा कि हम खरीदी करेंगे। लेकिन उसके बाद कहा कि 40% खरीदेंगे, फिर कहा 20% खरीदेंगे। मतलब 100 बोरे में से 20 बोरे खरीदेंगे। और 80 बोरे बेचने के लिए किसान तीन, साढे तीन हजार रुपए प्रति क्विंटल पर बेचने पर मजबूर होगा। इस समय मध्य प्रदेश की स्थिति यह है कि उत्पादकता को लेकर भले ही भाजपा की सरकार ने शिवराज सिंह ने कृषि के क्षेत्र में पुरस्कार लिया है। लेकिन मैं मध्य प्रदेश सरकार को मैं चुनौती देता हूं पहले 8 से 10 बोरा निकलता था फिर 6 से 8 बोरा निकालता था अब मेरे क्षेत्र के अंदर औसतन चार से छह बोरा उत्पादन ही निकल रहा है। आपको रेट बढ़ना पड़ेगा। इसलिए, हम सोयाबीन के लिए प्रति क्विंटल ₹8000 की मांग कर रहे हैं। लंबे समय से संयुक्त किसान मोर्चा यह लड़ाई लड़ रहा है। हम लोगों ने 300 दिन संघर्ष किया और 750 किसान शहीद हुए। इस लड़ाई को भी हम तेज करने का काम करेंगे। जब यह कार्यक्रम यहां भोपाल में चल रहा है। इस दौरान अलग-अलग संगठनों के द्वारा जेलों में भी कार्यक्रम किया जा रहा है। हम सारे किसान संगठन एक हैं। आगे आंदोलन को तेज करने की रणनीति बना रहे हैं अब खेती किसानी चालू हो गई है सोयाबीन की कटाई चालू हो गई है किसान अपना काम कंप्लीट करने के बाद इस लड़ाई को और तेज करने का काम करेंगे।

ये हैं किसान संगठनों की मांगें

  • समर्थन मूल्य (सी2+50%) पर खरीद की कानूनी गारंटी
  • किसानों की सम्पूर्ण कर्जा मुक्ति
  • सोयाबीन की MSP 8000रु/क्विंटल
  • धान MSP 5000रु/क्विंटल
  • मक्का MSP 3000रु/क्विंटल
  • गेहूं MSP 4000रु/क्विंटल
  • कपास MSP 10,000रु/क्विंटल
  • चना MSP 8000रु/क्विंटल
  • गन्ने MSP 500रु/क्विंटल
  • अतिवृष्टि से नष्ट हुई फसलों का सर्वे कराकर राजस्व मुआवजा और फसल बीमा का भुगतान किया जाए।
  • प्राकृतिक आपदा, सर्प दंश, बिजली का करंट तथा जंगली जानवर के हमले से मौत होने पर पीड़ित के परिवार को 10 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए।
  • वन अधिकार के पट्टाधारी किसानों को कब्जा दिलाया जाए।
  • चरनोई और तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कराया जाए।
  • बिजली बिल माफ किया जाए।
  • आवारा पशुओं तथा जंगली जानवरों द्वारा फसलों को हुए नुकसान पर लागत से डेढ़ गुना मुआवजा दिया जाए।
  • गेहूं-चावल के साथ राशन में दाल, शक्कर, केरोसिन का तेल दिया जाए।

किसानों की लागत बढ़ती जा रही, आय घट रही किसान संघर्ष समिति के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ एके खान बेडियां डालकर सत्याग्रह में शामिल हुए। खान ने कहा- सरकार ने किसानों को कानूनी बेडियों में जकड़ रखा है। एक तरफ सरकार हमारी आय दोगुनी करने की बात कर रही थी वहीं सरकार ने हमको कुचलने का काम किया। हमारी लागत 4 गुनी हो गई लेकिन लगातार हमारी आय लगातार घट रही है। जिससे कहीं ना कहीं पूरे देश में पूरे प्रदेश में किसान आत्महत्या के लिए मजबूर हो रहा है।

श्मशान, कब्रिस्तान और गौठान की जमीनें पूंजीपतियों को दी जा रहीं

खान ने कहा- सरकार से हम लोग लगातार एमएसपी की कानूनी गारंटी मांग रहे हैं। लेकिन, सरकार हमको कभी लाडली बहन के आवास देने की बात करती है लेकिन वह भी नहीं मिल पा रहे हैं। आदिवासियों, किसानों को गांव-गांव से खदेड़कर पूंजी पत्नियों को जमीन देने का काम किया जा रहा है। पूरे प्रदेश भर में पूंजी पतियों ने गौठान, शमशान, कब्रिस्तान और पानी मद की जमीनों पर कब्जा कर लिया है।

सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि पानी मद की भूमि पर किसी तरह का मद परिवर्तन नहीं हो सकता लेकिन पैसे और पूंजी पतियों के सामने कहीं ना कहीं सरकार नतमस्तक है। हम सरकार से यह कहने आए हैं कि आदिवासियों को वन भूमि के पट्‌टे दिए जाएं। गौठान, श्मशान, कब्रिस्तान की जमीनों पर हो रहे कब्जे रोके जाएं। सरकार के लोग एक तरफ यह गाय को अपनी माता कहते हैं दूसरी तरफ इस गाय की चरनोई भूमि को बर्बाद करने का काम कर रहे हैं। इन्हीं मांगों को लेकर हम आज यहां आए थे। ये बेडियां हमने नहीं सरकार ने किसानों के ऊपर कानूनी बेडियां डाली हैं। हमारे ऊपर झूठे मुकदमें दर्ज किए जाते हैं। इसलिए हमने यह बेडियां डाली हुई हैं।

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