चुनाव बाद संपत्ति कर, पानी, सीवेज बढ़ेगा टैक्स
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद भोपाल समेत प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में संपत्ति कर, पानी, सीवेज और कचरा प्रबंधन शुल्क बढ़ाने की तैयारी है। संपत्ति कर का निर्धारण पिछले दो साल में कलेक्टर गाइडलाइन में हुई बढ़ोतरी के आधार पर होगा।
वहीं, पानी, सीवेज और कचरा प्रबंधन शुल्क में वृद्धि उन पर हो रहे खर्च के अनुपात में होगी। सरकार हर निकाय के महापौर और नगर पालिका अध्यक्ष को इस बात के लिए राजी करेगी कि वे आम जनता को टैक्स बढ़ाने के लिए मनाएं।
शुरुआत इंदौर नगर निगम से हो चुकी है। इंदौर ने एक पुराने निर्णय के आधार पर प्रॉपर्टी टैक्स में वृद्धि को लागू कर दिया है। प्रदेश के बाकी नगर निगम और नगर पालिकाएं आचार संहिता हटने के बाद अपने बजट में टैक्स में वृद्धि के प्रस्ताव ला सकती हैं। तर्क दिया जा रहा है कि टैक्स बढ़ाने से होने वाली आय से क्षेत्र में विकास कार्य कराए जा सकेंगे।
अभी निकायों में भाजपा मजबूत… कुल 413 नगरीय निकायों में से 99 नगरपालिका, 298 नगर परिषद हैं। ज्यादातर पर भाजपा का कब्जा है। कुल 16 नगर निगम हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान हुए दलबदल के बाद भाजपा के 12, कांग्रेस के 3, आम आदमी पार्टी का 1 महापौर है।
साल 2020 में ही प्रॉपर्टी टैक्स को कलेक्टर गाइडलाइन से जोड़ दिया गया था, लेकिन कोरोना के कारण 2021-22 में कलेक्टर गाइडलाइन नहीं बढ़ी। 2022-23 और 2023-24 में कलेक्टर गाइडलाइन बढ़ने के बावजूद कई निकायों ने अपना प्रॉपर्टी टैक्स नहीं बढ़ाया। अब निकाय के अगले बजट में इस पर भी अमल होने की संभावना है।
सफाई, पानी, सीवेज के 100% खर्च की नागरिकों से वसूली
केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने 2020 में राज्यों को निर्देश दिए थे कि वे अगले तीन साल में यूजर चार्जेस यानी सफाई, पानी और सीवेज पर होने वाला 100% खर्च नागरिकों से वसूलना शुरू करें। इसके लिए राज्य सरकार ने तीन साल का स्लैब बनाकर निकायों को दिया था, लेकिन चुनावों के कारण इस पर कोई निर्णय नहीं हुआ।
केंद्र ने यूजर चार्ज को 15वें वित्त आयोग की राशि से जोड़ दिया है। आयोग की गाइडलाइन में कहा गया है कि यूजर चार्ज बढ़ाने वाले निकायों को अधिक अनुदान मिलेगा। इस आधार पर देश के अन्य शहरों में यूजर चार्ज बढ़ाए गए हैं।
केंद्र का संधारण राशि देने से इनकार
केंद्रीय शहरी विकास सचिव अनुराग जैन ने भोपाल में केंद्र सरकार की योजनाओं की समीक्षा के दौरान पेयजल योजनाओं के लिए नगरीय निकायों को संचालन व संधारण की राशि देने से इनकार कर दिया था। उन्होंने साफ कहा था कि निकायों को आत्मनिर्भर बनाना होगा।
इसी आधार पर नगरीय विकास विभाग नगर निगम, नगरपालिका व नगर परिषदों को यूजर चार्ज की वसूली करने के निर्देश दे रहा है। प्रदेश में आचार संहिता लागू होने के कारण अधिकारी इस बारे में बात नहीं कर रहे हैं।