उद्घाटन के पांच साल बाद शोपीस बनी प्रयोगशाला
आष्टा। स्थानीय कृषि उपज मंडी परिसर में मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला उद्घाटन के बाद से ही शोपीस बनी हुई है ।यहां पर न तो कर्मचारियों की तैनाती है और न ही इसका लाभ किसानों को मिल पा रहा है ।यहां पर आत्मा प्रोजेक्ट के तहत एक कर्मचारी पदस्थ हैंए वह भी कभी कभार इस परीक्षण शाला को खोलते हैं। इस कार्यालय में इतनी धूल एवं गंदगी व्याप्त है जो किसान अपनी मिट्टी परीक्षण हेतु लेकर आते हैंए ताला लटका हुआ मिलता है ए अनेक चक्कर लगाने के बाद फिर वहां पर कर्मचारी मिलता है तो उसे वह लेकर जिला मुख्यालय पर भिजवाते हैं। उपकरण होम खराब हो रहा है।
स्टाफ की पोस्टिंग के बाद ही चालू होगी लैब,ए यह राज्यस्तरीय मामला है। समय-समय पर वीसी या मीटिंग में इसकी जानकारी दी जाती है। इन लैब में टेक्निकल स्टाफ की कमी है। स्टाफ की पोस्टिंग के बाद से यह लैब चालू कर दी जाएगी। ऐसा कृषि विभाग वालों का कहना है। हालांकि पांच साल से अधिक समय हो गया है मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला को, जिसका लोकार्पण पूर्व कृषि मंत्री सचिन यादव ने किया था। कृषि उपज मंडी में कई साल से मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला बनकर तैयार हो गई है। विभाग ने इस लैब को हैंडओवर भी कर लिया है, लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते यह लैब पांच साल में भी चालू नहीं हो पाई है। उपयोग नहीं होने के कारण लैब में लगे उपकरण और केमिकल भी खराब हो रहे हैं। इससे सरकार को लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। वहीं किसान भी बिना परीक्षण के ही अपनी जमीन में फसल लगा रहे हैं। इससे किसानों को पर्याप्त मात्रा में उपज भी नहीं मिल रही हैए वहीं लागत भी अधिक आ रही है। वहीं देखरेख के अभाव में आस.पास गंदगी व्याप्त है। अपने खेतों में फसलों की अधिकतर किसान बिना परीक्षण कराएं बोवनी कर देता है। क्योंकि यहां प्रयोगशाला पर ताला लटका रहता है और मिट्टी का परीक्षण कराने के लिए परेशान होना पड़ता है।
किसान हो रहे परेशान
क्षेत्र के अधिकतर किसान बिना परीक्षण के ही अपने खेतों में फसलों की बोवनी कर देते हैं। प्रयोगशाला में मिट्टी परीक्षण के लिए है। सभी तरह की तैयारी प्रयोगशाला में मिट्टी परीक्षण के लिए हो चुकी हैं। इसमें सभी तरह के यंत्र केमिकल, सामग्री आदि लग चुके हैं। भवन भी विभाग के हैंडओवर हो चुका है। इससे बाद भी विभाग ने इसे चालू नहीं कराया है। इससे किसानों को परेशानी हो रही है। इसके बाद भी इन लैब में आज तक ताले लटके हुए हैं। देखरेख के अभाव में यह लेब जीर्ण शीर्ण होती जा रही है।
दूसरे शहर जाने को मजबूर
मिट्टी परीक्षण के लिए दूसरे शहरों में जा रहे हैं। किसान शहर में बनी मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला के चालू नहीं होने पर किसानों को मिट्टी परीक्षण के लिए परेशान होना पड़ता है। कई किसान मिट्टी का परीक्षण कराने के लिए अपनी मिट्टी के नमूनों को लेकर सीहोर, देवास आदि जाना पड़ता है। किसान एक दिन इन स्थानों पर जाकर नमूना देते हैं और दूसरे दिन उसकी रिपोर्ट लेने के लिए जाते हैं। इससे किसानों का समय और पैसा बर्बाद होता है। वहीं कई किसान बिना परीक्षण के ही अपनी फसल की बोवनी करते हैं। इससे किसान अपनी जमीन में तय सीमा से अधिक खाद डाल देते हैं। इससे खेत की उर्वरक क्षमता बढ़ने की अपेक्षा कम हो जाती है। किसान पारंपरिक ठंग से खाद डालते हैं। इससे जिस चीज की कमी होती है वह और होती जाती है, वहीं जो अधिक होती है वह बढ़ती जाती है। इससे किसान जमीन से पर्याप्त मात्रा में उपज नहीं ले पाते हैं।
स्टाफ व केमीकल यंत्र नहीं है, जिसको लेकर पत्राचार किया है। फिलहाल सेंपल लेकर सीहोर से जांच कराई जा रही है।
आरएस जाट, प्रभारी उपसंचालक कृषि