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इंदौर में कैसे हासिल होगा शत प्रतिशत टीकाकरण का लक्ष्य, बुधवार को सिर्फ साढ़े छह हजार टीके लगे

कोरोना टीकाकरण अभियान एक बार फिर सुस्त नजर आ रहा है। किसी समय जिले में एक दिन में 50 हजार से ज्यादा टीके लगाए जा रहे थे लेकिन बुधवार को सिर्फ साढ़े छह हजार टीके लगाए जा सके। जिले में 15 से 17 आयु वर्ग के 30 हजार से ज्यादा किशोर हैं जिन्हें अब तक कोरोना का पहला टीका ही नहीं लगा है। सतर्कता डोज को लेकर भी लोग गंभीर नजर नहीं आ रहे। ऐसे में शत प्रतिशत टीकाकरण का लक्ष्य हासिल करना शासन-प्रशासन के लिए आसान नहीं होगा।

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बुधवार को 104 सत्रों के माध्यम से 6651 लोगों को कोरोना का टीका लगाया गया। 265 चिकित्साकर्मियों और 399 फ्रंटलाइन वर्करों ने बुधवार को सतर्कता डोज लगवाई। इसके अलावा 60 वर्ष से अधिक उम्र के 1431 लोग भी सतर्कता डोज लगवाने पहुंचे। बुधवार को 15 से 17 आयुवर्ग के 307 किशोरों ने पहला और 1646 ने दूसरा टीका लगवाया। 18 से 44 आयुवर्ग के 294 लोगों ने पहला और 1951 ने बुधवार को दूसरा टीका लगवाया। 45 से 60 आयुवर्ग के 1969 लोगों ने बुधवार को दूसरा टीका लगवाया।

किशोरों को तलाशने में आ रही दिक्कत

कोरोना काल में लगे लंबे लाकडाउन की वजह से कई किशोर पढ़ाई बीच में छोड़ चुके हैं। फिलहाल भी स्कूलें नियमित रूप से नहीं खुल रहीं। यही वजह है कि स्वास्थ्य विभाग को 15 से 17 आयुवर्ग के किशोरों को पहला टीका लगवाने के लिए तलाशना मुश्किल पड़ रहा है। कोरोना के दूसरे टीके को लेकर भी जागरूकता का अभाव नजर आ रहा है। तीन जनवरी से शुरू हुए किशोरों के टीकाकरण के तहत शुरुआती तीन दिन में एक लाख से ज्यादा किशोरों को पहला टीका लगाया जा चुका था लेकिन इनमें से ज्यादातर दूसरा टीका लगवाने नहीं पहुंचे।

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