घाटे की भरपाई करने बिजली चोरी वाले इलाकों में दे रहे औसत बिल
शहर में बिजली चोरी रोकने में लोगों का सहयोग नहीं मिलने के कारण बिजली कंपनी बिजली चोरी रोकने में सफल नहीं हो पा रही है। लेकिन वह अपने घाटे के लिए औसत बिल थमा कर ईमानदार उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ जरूर डाल रही है। कई लोग बिजली कनेक्शन नहीं लिए हुए हैं वह दूसरी जगह से बिजली लेकर उपयोग करते हैं वही जिनके वैध कनेक्शन हैं उनमें से कुछ लोग बिजली चोरी से जलाकर उपयोग करते हैं। घरों में हीटर का उपयोग किया जाता है जिसकी वजह से खंभों पर लगाए गए बिजली मीटर डीपी के हिसाब से अधिक बिजली का खर्च बताते हैं। जबकि घरों से मीटर रीडिंग लेने पर वह कम निकलती है इस कारण उस क्षेत्र के जितने भी उपभोक्ता हैं चाहे वह ईमानदारी से बिजली जला रहे हो या बेईमानी से सभी को औसत बिल दिए जाते हैं। नगर के कुछ क्षेत्र में लो वोल्टेज की समस्या भी है जब वहां के कुछ जागरूक उपभोक्ताओं ने इसकी शिकायत करने के लिए आवेदन तैयार करवाया तो आस-पड़ोस के लोगों ने यह कहकर दस्तखत करने से इन्कार कर दिया कि अगर जांच हुई तो उनकी चोरी पकड़ी जाएगी। इसलिए हमें जैसी बिजली मिल रही है ठीक है।
इस तरह दे रहे बिजली के औसत बिल
बिजली कंपनी ने बिजली की चोरी पकड़ने के लिए अब ट्रांसफार्मरों पर मीटर लगा दिए हैं। जिस ट्रांसफार्मर पर मीटर लगा होता है बिजली कंपनी कि कर्मचारी उसके हिसाब से रीडिंग लेते हैं और उस रीडिंग का मिलान उपभोक्ताओं की रीडिंग से करते हैं। यदि उपभोक्ताओं की रीडिंग का एक अनुमान के हिसाब से यदि 10000 यूनिट बताया जाता है और खंभे पर लगा मीटर अगर 15000 यूनिट दर्शा रहा है तो वह 5000 यूनिट की खपत उपभोक्ताओं पर औसत बिल के रूप में डाल दी जाती है। इससे नुकसान उन उपभोक्ताओं को होता है जो इमानदारी से बिजली जला रहे हैं और पड़ोसी के द्वारा बिजली चोरी करने का भुगतान उन्हें एवरेज बिल के रूप में भुगतना पड़ता है। इस संबंध में बिजली कंपनी की प्रबंधक कीर्ति जैन का कहना है कि उपभोक्ताओं को ऑनलाइन बिल रीडिंग के तुरंत बाद दिए जाते हैं। इसमें औसत बिल जैसी समस्या नहीं होती। यदि उपभोक्ता को ऐसा लगता है कि उसे अधिक का बिल दिया गया है तत्काल मीटर की रीडिंग और दिए गए बिल में दर्शाई रीडिंग चेक करके मीटर वाचक को बता कर सुधार करा सकते हैं।