कोलार में भाजपा कार्यकर्ता ने नगर निगम दरोगा पर लगाया अवैध वसूली का आरोप
शहर के उपनगर कोलार में ठेले लगाने वाले अलग-अलग खाद्य पदार्थों के विक्रेताओं से सफाई दरोगा अवैध वसूली कर रहे हैं। बुधवार को यह आरोप भाजपा के कार्यकर्ता कोलार-246 के बूथ अध्यक्ष शैलेंद्र सिंह लोधी ने इंटरनेट मीडिया पर एक पोस्ट लिखकर लगाया है। इसमें मदद की गुहार लगाई गई है। शैलेंद्र सिंह लोधी ने बताया कि जेके रोड पर बीते कुछ दिनों से एक व्यक्ति फुलकी का ठेला लगा रहा है। वह रोजाना के हिसाब से 20 रुपये प्रतिदिन तह बाजारी नगर निगम प्रशासन को देता है। उसके एवज में नगर निगम से पर्ची भी मिलती है, लेकिन नगर निगम जोन-18 का सफाई दरोगा लखन खरे ठेला लगाने के लिए महीने के 500 से एक हजार रुपये देने की मांग करता है। इस मामले के बाद से नगर निगम के अधिकारियों पर अवैध वसूली करने पर सवाल उठने लगे हैं।बता दें कि उपनगर कोलार में पांच हजार से अधिक ठेले व सड़कों के किनारे जमीन पर बैठकर अलग-अलग खाद्य पदार्थों, सब्जी, फलों के ठेले, अस्थाई दुकानें लगाते हैं। इनसे नगर निगम प्रशासन नियमानुसार 20-20 रुपये तह बाजारी ले सकता है। इसके बाद नगर निगम के कर्मचारी व अधिकारी जो पैसे लेते हैं, वह अवैध वसूली की श्रेणी में आता है। इससे पहले भी नगर निगम अधिकारियों व कर्मचारियों पर छोटे-छोटे विक्रेताओं से दुकानें व ठेले लगाने के एवज में अवैध वसूली के आरोप लग चुके हैं। अवैध वसूली के मामले पर कोलार वार्ड-82 के दरोगा लखन खरे ने बताया कि जेके रोड नए पुल के पास ठेले लगाने की अनुमति नहीं है। इसके बाद भी शैलेंद्र सिंह लोधी ठेला लगा रहे हैं। वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर कार्रवाई करने गए तो उन्होंने अवैध वसूली का आरोप लगा दिया। यदि मैंने उनसे पैसे मांगें हैं तो वो सबूत दें। वहीं कोलार नगर निगम स्वास्थ्य शाखा के प्रभारी मधुसूदन तिवारी ने बताया कि शिकायत मिली है। संबंधित ठेले संचालक पर कोई रिकार्डिंग व किसी भी तरह का सबूत देने के लिए कहा है। यदि वो सबूत देते हैं तो दरोगा लखन सिंह पर कार्रवाई करेंगे।
इधर अवैध अतिक्रमण जारी, गहरी नींद में जिम्मेदार
कोलार में सर्वधर्म पुल से लेकर भोज मुक्त विश्वविद्यालय की तरफ कोलार पानी की पाइपलाइन के ऊपर खुलेआम गुमठियां बनाकर रखी जा रही हैं। नगर निगम प्रशासन अवैध वसूली के कारण इन गुमठियों को हटाने की कार्रवाई नहीं कर रहा है। तीन साल पहले सर्वधर्म पुल से भोज मुक्त विश्वविद्यालय की तरफ 40 दुकानें थीं, जो अब बढ़ कर दोगुनी हो गई हैं। आश्चर्य के बात है कि अब तो अतिक्रमणकारी पक्की दुकानें भी बनाने लगे हैं। इसके बाद भी अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई नहीं हो रही है।