भोपाल के कोहेफिजा इलाके में वरिष्ठ अधिवक्ता को डिजिटल अरेस्ट का मामला सामने आया है। रविवार को साइबर ठगों ने खुद को एटीएस (एंटी टेररिज्म स्क्वॉड) अधिकारी बताकर ठगी की कोशिश की। करीब तीन घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रहने के बाद पुलिस ने बुजुर्ग को आरोपियों के चुगल से मुक्त कराया। जालसाजों ने पहलगाम आतंकी हमले में उनके नंबर का इस्तेमाल किए जाने की बात कर डराया था।
सब इंस्पेक्टर संजीव धाकड़ ने बताया कि घटना रविवार दोपहर करीब दो बजे की है। कोहेफिजा निवासी 75 वर्षीय शम्स उल हसन, जो कि सीनियर एडवोकेट हैं। उन्हें अचानक एक अज्ञात नंबर से व्हाट्सएप वीडियो कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को पुणे एटीएस का सब इंस्पेक्टर अभय प्रताप सिंह बताया और कहा कि शम्स उल हसन का नाम पहलगाम आतंकी हमले से जुड़ गया है।

वर्दी पहनकर बैठे थे जलसाज उसने बताया कि आपके मोबाइल की जांच में संदिग्ध संदेश और कॉल मिले हैं, इसलिए अब आपको डिजिटल हाउस अरेस्ट किया जा रहा है। आप तुरंत अपने कमरे में चले जाएं, दरवाजा बंद करें और किसी से बात न करें। वीडियो कॉल पर दो युवक पुलिस की वर्दी में नजर आए, जिससे शम्स उल हसन को भरोसा हो गया कि कॉल असली है। डर की वजह से उन्होंने खुद को कमरे में बंद कर लिया।
आधार कार्ड और खातों की जानकारी मांगी इस दौरान ठगों ने उनसे आधार कार्ड, बैंक खातों की जानकारी और अन्य निजी जानकारी मांगी। करीब ढाई घंटे तक जब वे कमरे से बाहर नहीं निकले तो उनके बेटे जिया उल हसन को शक होने लगा। जब बार-बार आवाज देने पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो वे तुरंत कोहेफिजा थाने पहुंचे और पूरी बात बताई।
जालसाज उनसे रकम ले पाते उससे पहले टीआई केजी शुक्ला के साथ पुलिस टीम तत्काल उनके घर पहुंची। करीब 4.30 बजे पुलिस ने समझाइश देकर वकील को दरवाजा खोलने के लिए कहा। जब उन्होंने गेट खोला तो मोबाइल कॉल कट हो गया।




