मध्य प्रदेश की 56 साल की अनमैरिड IAS की लव स्टोरी, पत्रकार से हुआ प्यार
दो साल पहले TV डिबेट के बाद सोशल मीडिया पर मैं और डॉ. राकेश पाठक दोस्त बने। हमने नंबर एक्सचेंज किए। बातें शुरू हुईं। विचार मिलते गए। डेढ़ साल पहले एक बार मैं डॉ.पाठक के घर गई। वहां डॉ. पाठक की पहली पत्नी की मां भी थीं। उनसे मुलाकात हुई। उन्होंने ही डॉ. पाठक से कहा कि तुम एक-दूसरे को जानते हो। शैल कितनी अच्छी है। तुम शादी क्यों नहीं कर लेते। हमारी दोस्ती और मुलाकातों की बात डॉ. पाठक की बेटियों को पता चली। बेटियों ने भी हमसे कहा कि आप दोनों शादी क्यों नहीं कर लेते। सच कहूं तो इससे पहले कभी शादी का ख्याल ही नहीं आया था, लेकिन फिर सब यूं ही होता गया। डॉ. पाठक ने मुझे शादी का प्रस्ताव दिया। मैंने विचार के लिए कुछ समय लिया और फिर हां कर दी।पिता कई रिश्ते बताते थे, मुझे पसंद नहीं आए। सच कहूं तो नौकरी के बाद पापा ने भी मुझसे शादी के संबंध में बात की थी। कई रिश्ते भी बताए थे, लेकिन मैं तब शादी के लिए तैयार नहीं थी। कई बार मेरे पेरेंट्स से बात किए बिना भी कुछ लोगों ने मुझे अप्रोच किया, लेकिन वो मुझे पसंद नहीं आए।लड़कों से दोस्ती रही, लेकिन कोई ऐसा नहीं मिला, जिससे प्रेम हुआ हो। प्रेम तो डॉ. पाठक से ही हुआ। कभी कोई प्रेम करने लायक मिला ही नहीं। ये भी हो सकता है कि मैं क्रिश्चियन कम्युनिटी से आती हूं। शायद इसलिए मुझे किसी ने प्रपोज न किया हो। मैं गुस्सैल भी थी। मेरा गुस्सा डॉ. पाठक ही झेल सकते हैं। वो एक अच्छे इंसान हैं। मुझे बेहतर ढंग से समझते हैं, इसलिए मैं उनके करीब आई। अब शायद मेरा गुस्सा कुछ कम हुआ है।मुझे लगता है कि शादी के लिए कोई उम्र नहीं होती। महिलाओं को अपनी जिंदगी के फैसले लेने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। मैंने भी अपनी जिंदगी का फैसला खुद किया है। इसमें मेरा परिवार भी मेरे साथ है। हमने तय किया है कि हम कोर्ट मैरिज करेंगे। इसके बाद रीति-रिवाज से शादी करेंगे। रिसेप्शन देंगे या नहीं, इस पर अभी हमने कुछ तय नहीं किया है। हम बात करके इसका निर्णय करेंगे। शादी के रिवाजों में धर्म का बंधन नहीं होगा। मुझे ऐतराज नहीं है। हम दोनों एक-दूसरे का सम्मान करते हैं। इसमें धर्म का कहीं कोई बंधन नहीं है।