आउटसोर्स कर्मचारी बोले- दो हजार रुपए में घर कैसे चलाएं
इस महंगाई के दौर में भी दो हजार रुपए प्रति महीने मिलते हैं। वो भी तीन से चार महीने बाद दिए जाते हैं। ऐसे में घर कैसे चलाएंगे। सरकार को वेतन बढ़ाना चाहिए।’
यह दर्द आउटसोर्स कर्मचारियों का है। रविवार को प्रदेश भर से कर्मचारी प्रदर्शन करने भोपाल के नीलम पार्क पहुंचे हैं। इसमें विभिन्न सरकारी विभागों, अर्द्धसरकारी संस्थानों में काम कर रहे आउटसोर्स कर्मचारी शामिल हैं। प्रदर्शन में कांग्रेस नेता व पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, पीसी शर्मा, कांग्रेस अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार शामिल हुए।
नरसिंहपुर से भोपाल आए मुकेश सोनवाने के बताया कि पिछले कई साल से दो हजार रुपए मिल रहे हैं। सफाईकर्मी दीनदयाल ने बताया कि पिछले 10 साल से सिर्फ दो हजार रुपए मिलते हैं। महंगाई के जमाने में कैसे गुजारा होगा। वहीं, एमपी टूरिज्म में काम करने वाले वीरेंद्र विश्वकर्मा ने बताया कि हर महीने आठ हजार रुपए मिलते हैं। आज के दौर में इन रुपयों से कुछ नहीं होता। घर का किराया दें, बच्चाें को पढ़ाएं या खाना खाएं।
21 हजार न्यूनतम वेतन किया जाए संयुक्त कर्मचारी मोर्चा के अध्यक्ष वासुदेव शर्मा का कहना है कि- सरकार ने पिछले 15-20 सालों से तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की भर्तियां खत्म कर दीं। सरकारी सेक्टर का 80 फीसदी निजीकरण हो गया है। निजी कंपनियों को ठेके पर दे दिया है। इनमें कम्प्यूटर ऑपरेटर, सुरक्षा गार्ड जैसे कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन तक नहीं मिलता। नौकरी में कोई सुरक्षा नहीं हैं।
लघु कैडर बनाए सरकार शर्मा का कहना है कि हम सरकार से कहने आए हैं कि चपरासी, माली, भृत्य, बाबू, ड्राइवर से लेकर इन सब तमाम कर्मचारियों को कलेक्टर का न्यूनतम वेतन मिलना चाहिए। और न्यूनतम वेतन 21 हजार होना चाहिए। ये सब 15-20 सालों से काम कर रहे हैं। इन सारे कर्मचारियों को नौकरी में सुरक्षा देना चाहिए। एक लघु कैडर बनाकर इनका भविष्य सुधारा जा सकता है। इसमें सरकार पर आर्थिक बोझ भी नहीं आएगा। हमारा ज्यादातर मामला श्रम मंत्री से जुड़ा हुआ है। हम उनसे मिलने जा भी रहे हैं।