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PMRBP 2022: पीएम मोदी ने की राष्ट्रीय बाल पुरस्कार विजेताओं से बात, पढ़िए रोचक संवाद

Pradhan Mantri Rashtriya Bal Puraskar 2022: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार (पीएमआरबीपी) प्राप्त करने वाले बच्चों के साथ बातचीत की। इस अवसर पर पीएम मोदी ने ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार (PMRBP 2022) के विजेताओं को डिजिटल सर्टिफिकेट भी प्रदान किए। भारत सरकार विजेताओं को 1 लाख रुपए की राशि भी प्रदान करती है। कार्यक्रम में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी और राज्य मंत्री डॉ मुंजपारा महेंद्रभाई भी मौजूद रहे। इस वर्ष 29 बच्चों का चयन Pradhan Mantri Rashtriya Bal Puraskar 2022 के लिए किया गया है। ये पुरस्कार राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में राष्ट्रपति द्वारा दिए जाते हैं।

इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा, आप सबसे बातचीत करके बहुत अच्छा लगा। आपसे आपके अनुभवों के बारे में भी जानने को मिला। कला, संस्कृति से लेकर वीरता, शिक्षा से लेकर innovation, समाज सेवा और खेल जैसे अनेक क्षेत्रों में आपकी असाधारण उपलब्धियों के लिये आपको अवार्ड मिले हैं। नौजवान साथियों, आपको आज ये जो अवार्ड मिला है, ये एक और वजह से बहुत खास है। ये वजह है- इन पुरस्कारों का अवसर!

पीएम ने आगे कहा, देश इस समय अपनी आज़ादी के 75 साल का पर्व मना रहा है। आपको ये अवार्ड इस महत्वपूर्ण कालखंड में मिला है। ये अवार्ड एक बहुत बड़ी स्पर्धा के बाद आपको मिले हैं, देश के हर कोने से बच्चे आगे आए हैं, उसमें से आपका नंबर लगा है। मतलब अवार्ड पाने वालों की संख्या भले ही कम है, लेकिन इस प्रकार से होनहार बालकों की संख्या हमारे देश में अपरम्पार है। इस अवार्ड के साथ आपको बहुत बड़ी जिम्मेदारी भी मिली है। अब दोस्तों की, परिवार की, समाज की हर किसी की आपसे अपेक्षाएं भी बढ़ गई हैं।

इन अपेक्षाओं का आपको दबाव नहीं लेना है, इनसे प्रेरणा लेनी है। पिछले साल दीवाली पर जम्मू-कश्मीर के नौशेरा सेक्टर में गया था। वहां मेरी मुलाकात बलदेव सिंह और बसंत सिंह नाम के ऐसे वीरों से हुई जिन्होंने आज़ादी के बाद हुए युद्ध में बाल सैनिक की भूमिका निभाई थी। उन्होंने अपने जीवन की परवाह न करते हुए उतनी कम उम्र में अपनी सेना की मदद की थी। हमारे भारत का एक और उदाहरण है- गुरु गोविन्द सिंह जी के बेटों का शौर्य और बलिदान! साहिबज़ादों ने जब असीम वीरता के साथ बलिदान दिया था तब उनकी उम्र बहुत कम थी।

भारत की सभ्यता, संस्कृति, आस्था और धर्म के लिए उनका बलिदान अतुलनीय है। कल दिल्ली में इंडिया गेट के पास नेताजी सुभाषचंद्र बोस की डिजिटल प्रतिमा भी स्थापित की गई है। नेताजी से हमें सबसे बड़ी प्रेरणा मिलती है- कर्तव्य की, राष्ट्रप्रथम की। नेताजी से प्रेरणा लेकर आपको देश के लिए अपने कर्तव्यपथ पर आगे बढ़ना है।

हमारी आजादी के 75 साल इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि आज हमारे सामने अपने अतीत पर गर्व करने का, उससे ऊर्जा लेने का समय है। ये समय वर्तमान के संकल्पों को पूरा करने का है, ये समय भविष्य के लिए नए सपने देखने का है, नए लक्ष्य निर्धारित करके उन पर बढ़ने का है।

पिछले साल कोरोना के कारण बाल पुरस्कार विजेताओं को सर्टिफिकेट नहीं मिल सका था, उन्हें भी इस बार डिजिटल सर्टिफिकेट प्राप्त होगा। पिछले साल 32 बच्चों को इस पुरस्कार के लिए चुना गया था। पीएमआरबीपी के विजेता हर साल गणतंत्र दिवस परेड में भी हिस्सा लेते हैं।

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