नाबालिग से रेप के आरोपी को खंडवा कोर्ट ने गुरुवार को 20 साल कैद की सजा सुनाई। ट्रायल के दौरान पीड़िता ने रेपिस्ट का बचाव किया। कोर्ट से कहा कि उसने तो मर्जी से शादी की, आरोपी का कोई कसूर नहीं हैं। इस पर अभियोजन ने कोर्ट के सामने डीएनए रिपोर्ट पेश कर दी। डीएनए रिपोर्ट में रेप की पुष्टि होने पर कोर्ट ने आरोपी को दोषी माना।
फैसला हरसूद कोर्ट के विशेष अपर सत्र न्यायाधीश पुष्पक पाठक ने सुनाया है। आरोपी सुनील पिता ओंकार (20) निवासी ग्राम लंगोटी को अपहरण के मामले 5 साल, इच्छा के विरूद्व शादी करने के मामले में 7 साल और पॉक्सो एक्ट में 20 साल की सजा सुनाई है। सभी धाराओं में एक-एक हजार रूपए का जुर्माना भी लगाया है। अभियोजन की ओर से इस केस में पैरवी विशेष लोक अभियोजक अनिल चौहान ने की।
साड़ी में फॉल लगवाने का कहकर निकली थी अभियोजन के मुताबिक, 14 साल 7 महीने उम्र की एक नाबालिग पांचवी क्लास में पढ़ी-लिखी थी। 5 अप्रैल 2024 की शाम को वह घर से बाहर गई थी। यह कहकर कि वह साड़ी में फॉल लगवाने के लिए गांव में जा रही है। वह रात तक वापस नहीं आई।
पिता ने रिश्तेदारी में तलाश किया लेकिन वो नहीं मिली। फिर शक हुआ कि गांव का सुनिल उसे बहला-फुसलाकर ले गया है। इसके बाद खालवा पुलिस ने पॉक्सो व अपहरण का मामला दर्ज कर जांच शुरू की।
उसी महीने पीड़िता को आरोपी के कब्जे से दस्तयाब किया। पीड़िता ने बताया कि आरोपी सुनिल उसे बहला-फुसलाकर व धमकाकर महाराष्ट्र ले गया। जहां उसके साथ दुष्कर्म किया। पुलिस ने बयान के आधार पर आरोपी के खिलाफ दुष्कर्म की धारा बढ़ाई। आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेजा।
विवेचना के बाद कोर्ट में चालान पेश किया। ट्रायल के दौरान पीड़िता मुकर गई। कहने लगी कि उसने अपनी मर्जी से शादी की थी। डीएनए रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई। कोर्ट ने पीड़िता को नाबालिग मानते हुए आरोपी को दोषी करार दिया।