एनआरआई बनकर युवती ने जबलपुर के बुजुर्ग से की दोस्ती; मुलाकात के नाम पर ऐंठी रकम : 22 दिन में 29 खातों में 53 लाख जमा कराए
जबलपुर में 70 साल के मसूद हुसैन के साथ 53 लाख रुपए का फ्रॉड हो गया। खुद को एनआरआई बताकर युवती ने उनसे फेसबुक पर दोस्ती की, इसके बाद अपने साथी के साथ मिलकर 22 दिन में 29 बैंक अकाउंट्स में 53 लाख रुपए ट्रांसफर करवा लिए।
ठगी की शुरुआत युवती ने अमेरिका से मुलाकात के लिए इंडिया आने का कहकर की। तीन दिन पहले मसूद ने इसकी शिकायत पुलिस से की है। जबलपुर शहर में ही सीएम राइज स्कूल के 58 साल के प्रिंसिपल बाल पांडे ऐसी ही ठगी का शिकार होने से बाल-बाल बचे। आखिर कैसे साइबर ठग बुजुर्गों को आसान शिकार मानकर जाल में फंसाने की कोशिश कर रहे हैं और कैसे इनसे बचा जा सकता है…पढ़िए, रिपोर्ट
फेसबुक पर भेजी फ्रेंड रिक्वेस्ट, बताया- अमेरिका में डॉक्टर हूं मसूद हुसैन जबलपुर के नेपियर टाउन में रहते हैं। सरकारी नौकरी से रिटायर हैं। मसूद बताते हैं, ‘बात 20 सितंबर की है। फेसबुक पर सोनम यादव नाम से फ्रेंड रिक्वेस्ट आई। इसे एक्सेप्ट कर लिया। सोनम से मैसेंजर पर चैटिंग होने लगी। बातचीत के दौरान एक दिन उसने फोटो भेजकर कहा कि वह भारत की रहने वाली है, अमेरिका में डॉक्टर है।’
मसूद ने भी उसे अपना पता बताया और मोबाइल नंबर दे दिया।
कॉल आया- एयरपोर्ट पर कस्टम अधिकारियों ने पकड़ लिया मसूद ने आगे बताया, ‘1 नवंबर को युवती का कॉल आया। उसने बताया कि वह दिल्ली आ गई है लेकिन एयरपोर्ट पर कस्टम अधिकारियों ने डॉलर्स और गोल्ड के साथ उसे पकड़ लिया है। लाखों रुपए का सोना है। कस्टम अधिकारी छोड़ने के बदले में रिश्वत मांग रहे हैं।
उसने क्यूआर कोड भेजा। मैंने 3 लाख रुपए सेंड कर दिए। 2 घंटे बाद फिर कॉल आया। बोली- 10 लाख रुपए और चाहिए। मैंने 10 लाख रुपए और भेज दिए। रुपए मिलते ही बोली- थोड़ी देर बाद होटल पहुंचकर कॉल कर रही हूं
बोली- अमेरिका का बैंक खाता काम नहीं कर रहा है, पैसे भेजो मसूद ने कहा, ‘3 नवंबर को सोनम का फिर कॉल आया। बोली कि वह जल्द ही जबलपुर आ रही है। उसके पास अमेरिकन डॉलर्स हैं, जो रुपए में कन्वर्ट नहीं हो रहे हैं। उसका अमेरिका वाला बैंक खाता भी फ्रीज हो गया है। इस बार उसने 5 बैंक खातों के नंबर दिए और कहा- इनमें पैसा ट्रांसफर कर दो। जबलपुर में मिलने के बाद पूरे पैसे वापस कर दूंगी।
मसूद ने पांचों अकाउंट्स में 3-3 लाख रुपए के हिसाब से 15 लाख रुपए जमा कर दिए।
कस्टम अधिकारी बोल रहा हूं- तुम्हारी दोस्त गिरफ्तार हो गई 10 नवंबर को मसूद को अनजाने नंबर से कॉल आया। सामने वाले ने अपना नाम राहुल कुमार बताया। कहा- सोनम को घूस देने और गलत तरीके से डॉलर्स भारत लाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है। सोनम ने पूछताछ में बताया है कि डॉलर और गोल्ड तुम्हारे लिए लेकर आई थी।
मसूद घबरा गए और पूरी बात पत्नी को बताई। अगले दिन 11 नवंबर को राहुल का फिर कॉल आया। बोला- मामला सीबीआई तक पहुंच गया है। जल्द एक टीम तुम्हें गिरफ्तार करने के लिए जबलपुर आ रही है। बचना चाहते हो तो कुछ रुपए दे दो, मामला शांत हो जाएगा।
16 से 25 तक 26 लाख ट्रांसफर किए, 26 नवंबर को फोन बंद 13 से 15 नवंबर तक रोजाना मसूद के पास राहुल का कॉल आता रहा। वह उन्हें गिरफ्तारी का डर दिखाता रहा। मसूद ने आखिरकार उसके बताए 24 बैंक खातों में 26 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए। यह रकम 16 नवंबर से 25 नवंबर तक डाली।
इस बीच सोनम भी लगातार फोन पर मसूद के टच में रही। कहती रही कि मिलने पर पूरा पैसा लौटा देगी। 26 नवंबर को सोनम का मोबाइल स्विच ऑफ हो गया। मसूद और उनकी पत्नी समझ गए कि उनके साथ ठगी हुई है। वे पुलिस के पास पहुंचे और सारी बात बताई।
प्रिंसिपल को कॉल आया- आपका बेटा रेप केस में फंस गया जबलपुर के शहपुरा में सीएम राइज स्कूल के प्रिंसिपल बाल पांडे को 30 नवंबर को वॉट्सऐप पर कॉल आया। उन्होंने बताया, ‘ठग ने खुद को पुलिस अधिकारी बताकर कहा- आपका बेटा पूना में जॉब करता है। उसे रेप के केस में गिरफ्तार किया है। कुछ ही देर में प्रेस कॉन्फ्रेंस होने वाली है।
मैंने कॉल करने वाले से कहा कि मेरा बेटा है? इतने में कॉल पर ही किसी के रोने की आवाज आई। मैं पत्नी के पास पहुंचा और बेटे को कॉल करने को कहा।
पत्नी ने जब बेटे को कॉल लगाया तो उसने बताया कि वह अपने ऑफिस में है और ठीक है। मैं समझ गया कि मुझे फर्जी कॉल आया है। इतनी देर में ठग का कॉल कट हो गया।’
पाकिस्तान के फोन नंबर से आया था कॉल पांडे ने बताया कि उन्हें +92 सीरीज के नंबर से वॉट्सऐप कॉल आया था। यह पाकिस्तान का फोन नंबर सीरीज है। उन्होंने वॉट्सऐप कॉल पर आए फोन का स्क्रीन शॉट भी लिया। इसमें किसी पुलिस अधिकारी की फोटो लगी हुई थी। उन्होंने यह स्क्रीन शॉट अपने स्कूल के वॉट्सऐप ग्रुप में शेयर कर बाकी और लोगों को अवेयर किया। एक टीचर ने उन्हें बताया कि उनके पास भी इसी तरह से कॉल आया था।
अधिकारी बोले-जागरूक रहने की जरूरत एएसपी क्राइम ब्रांच समर वर्मा के मुताबिक-
साइबर क्रिमिनल्स लोगों को डराकर वारदातें करते हैं। समझदारी से इनके झांसे में आने से बचा जा सकता है। जिन्हें आप जानते नहीं, उनसे अपनी पर्सनल डिटेल शेयर नहीं करें। डिजिटल अरेस्ट जैसा भी कुछ नहीं होता है। अगर ठग फर्जी कॉल करके ज्यादा परेशान करते हैं, तो थाने में इसकी शिकायत करें।