भोपाल सीट पर 15 साल बाद वोटिंग घटी
भोपाल संसदीय सीट की 8 विधानसभा क्षेत्रों में 64 प्रतिशत वोटिंग हुई है। भोपाल लोकसभा के सीहोर-बैरसिया में सबसे ज्यादा वोटिंग हुई। हालांकि, इस बार साल 2019 की तुलना में 1.65 प्रतिशत कम मतदान हुआ। प्रशासन ने वोट प्रतिशत बढ़ाने की तमाम कोशिशें की। जिनमें लकी डॉ, व्यापारियों का बाजार बंद शामिल है। लेकिन, पिछली बार की तुलना में वोट प्रतिशत ज्यादा नहीं हो सका। इसके चलते भोपाल संसदीय सीट पर पिछले 15 साल में हुए तीन लोकसभा चुनावों में मतदान बढ़ने के बजाय घटने का नया रिकार्ड बना है।
कुछ चुनावों में ट्रेंड बदला है
सीनियर जर्नलिस्ट एनके सिंह ने बताया कि पहले माना जाता था कि वोटिंग कम होने से सत्ता पक्ष को नुकसान होगा। लेकिन, अब ऐसा नहीं होता। पिछले कुछ चुनावों में इस ट्रेंड में बदलाव हुआ है। इस कारण वोटिंग कम होने और ज्यादा होने से किसी विशेष राजनीतिक दल के उम्मीदवार को फायदा या नुकसान होगा ? यह कहना फिलहाल संभव नहीं है।
अर्बन पुअर में भाजपा का स्ट्रॉन्ग होल्ड
भोपाल संसदीय क्षेत्र की अर्बन पुअर पापुलेशन में भाजपा का स्ट्रॉन्ग होल्ड है। भाजपा ने इस सेक्टर में काफी काम किया है। इस कारण पोलिंग ट्रेंड को देखकर यही कहा जा सकता है कि फायदा भाजपा को होगा।
पार्टियों की एक्टिविटी और इलेक्शन कमीशन के नवाचारों से बढ़ी वोटिंग
सीनियर जर्नलिस्ट विजय दत्त श्रीधर कहते हैं कि शुरुआती दो चरण के लोकसभा चुनाव में हुई कम वोटिंग ने राजनैतिक दलों की चिंता बढ़ा दी थी। इसके चलते मतदाताओं को मतदान के लिए घर से निकालने राजनैतिक पार्टियों और उम्मीदवारों ने व्यक्तिगत स्तर पर कॉफी मशक्कत की।
भोपाल में चुनाव भाजपा ने और कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार ने लड़ा
भोपाल संसदीय सीट पर आलोक शर्मा का चुनाव भाजपा और उनके शीर्ष नेतृत्व ने लड़ा। जबकि कांग्रेस की ओर से चुनाव उम्मीदवार अरुण श्रीवास्तव ने लड़ा। इसका फायदा पोलिंग में भाजपा उम्मीदवार आलोक शर्मा को होने का अनुमान है।
पिछले 3 चुनाव में वोटिंग बढ़ी, लीड घटी
भोपाल संसदीय सीट के पिछले तीन लोकसभा चुनावों में लगातार वोटिंग बढ़ी है। साल 2014 के चुनाव की तुलना में 2019 में वोटिंग 7.86 फीसदी ज्यादा हुई थी। दोनों ही चुनावों में भाजपा उम्मीदवार ने कांग्रेस उम्मीदवार को शिकस्त दी। लेकिन, 2014 की अपेक्षा 2019 के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की जीत का अंतर 5 हजार 874 घट गया था। चुनाव आयोग की डेटा रिपेार्ट के मुताबिक साल 2014 में भाजपा उम्मीदवार आलोक संजर ने कांग्रेस उम्मीदवार पीसी शर्मा को 370696 मतों से हराया था। जबकि साल 2019 में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कांग्रेस उम्मीदवार एवं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को 364822 मतों से शिकस्त दी थी।
वोटिंग बढ़ने का 15 साल का रिकार्ड टूटा
भोपाल संसदीय सीट के लिए 7 मई को हुए मतदान में वोटिंग बढ़ने का 15 साल का रिकार्ड ब्रेक हो गया है। भोपाल में 15 साल बाद लोकसभा चुनाव में पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में कम मतदान हुआ है। चुनाव आयोग की डेटा रिपोर्ट के अनुसार 2009 के लोकसभा चुनाव में भोपाल सीट पर 45.07 फीसदी मतदान हुआ था। 2019 के चुनावों में यह बढ़कर 65.65 प्रतिशत हो गया था। लेकिन, 7 मई को केवल 64.29 प्रतिशत मतदान होने से चुनाव दर चुनाव वोटिंग प्रतिशत में बढोत्तरी के ट्रेंड पर ब्रेक लग गया है।