2600 इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनें जब्त रखना राष्ट्रीय संसाधन की बर्बादी है, मुक्त करें
चुनाव याचिका में 2600 इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों को सालों साल जब्त रखना राष्ट्रीय संसाधन की बर्बादी है। इन मशीनों को मुक्त किया जाना चाहिए। याचिका में सभी मशीनों की आवश्यकता नहीं है। इनमें से सिर्फ 40 मशीनों को सुरक्षित रखा जाए। चुनाव आयोग बाकी मशीनों का इस्तेमाल आने वाले चुनाव में कर सकता है।
हाई कोर्ट ने यह आदेश उस चुनाव याचिका में दिया है जिसमें सांसद शंकर लालवानी के निर्वाचन को निरस्त करने की मांग की गई है। याचिका लालवानी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले पंकज संघवी ने दायर की है। याचिका में आरोप है कि चुनाव में ईवीएम और वीवीपेट के मतों में मिलान नहीं हो रहा है। ईवीएम में गड़बड़ी के आरोप भी हैं। आरंभिक तर्क सुनने के बाद 2019 में कोर्ट ने 2600 ईवीएम को जब्त कर याचिका के अंतिम निराकरण तक सुरक्षित रखने के आदेश दिए थे। इसके बाद ये मशीनें पहले नेहरू स्टेडियम और फिर निर्वाचन भवन में रखवा दी गई।
इस बीच चुनाव आयोग ने कोर्ट में एक आवेदन प्रस्तुत करते हुए गुहार लगाई थी कि याचिका में 2600 ईवीएम की आवश्यकता नहीं है। आयोग को इन मशीनों की आवश्यकता आगामी चुनाव के लिए है। मशीनों को मुक्त किया जाए। याचिकाकर्ता ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि हाई कोर्ट की ग्वालियर पीठ ऐसे ही एक आवेदन को निरस्त कर चुकी है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया था जो अब जारी हुआ। पांच पेज के आदेश में कोर्ट ने माना कि इतनी बड़ी संख्या में मशीनों को जब्त रखना राष्ट्र के संसाधन की बर्बादी है। आयोग को 2560 ईवीएम के इस्तेमाल की अनुमति देते हुए कोर्ट ने कहा कि इन मशीनों में से 40 मशीनों को सुरक्षित रखा जाए।