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भारत के प्राचीन मंदिर, जो अतीत में वापस ले जाते हैं 

1. बृहदेश्वर मंदिर, तंजौर, तमिलनाडु

इस मंदिर को 1002 ईस्वी में राजाराज चोल द्वारा बनवाया गया था। यह मंदिर शिव को समर्पित है, और द्रविड़ियन कला का बेहतरीन उदाहरण पेश करता है। बृहदेश्वर मंदिर, मंदिर निर्माण की सर्वश्रेष्ठ परंपरा का अनूठा संगम है। जिसमें वास्तुकला, चित्रकला और अन्य संबद्ध कलाएं सम्मिलित हैं। यह कई परस्पर संबंधित संरचनाओं से बना है, जैसे कि नंदी मंडप, एक स्तंभित पोर्टिको और एक बड़ा हॉल (सभा मंडप)। इसके शीर्ष की ऊंचाई 66 मीटर है।

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brihadeswara temple

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2. कैलाशनाथ मंदिर, एलोरा

इस मंदिर को दुष्टों का संहार करने वाले भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर महानता के प्रति एक श्रद्धांजलि है। इसके बावजूद हमारी शैक्षिक प्रणाली ने इतिहास के पाठ्यक्रम में इसे उचित स्थान नहीं दिया। यह अपने आस-पास की संरचनाओं के साथ सही अनुपात और संरेखण (Alignment) में तराशा गया था। जिसके सभी खंबे, फ्लाई ब्रिज, पत्थर के मेहराब, मूर्तियां और इमारतें पत्थर के एक ही टुकड़े से बने हैं।

ellora

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3. चेन्नाकेशव मंदिर, कर्नाटक

यगाची नदी के तट पर स्थित, यह मंदिर होयसल काल की शुरुआती सर्वोत्तम कृति है। यह विजयनगर के शासकों द्वारा चोलों पर उनकी विजय को दर्शाने के लिए बनाया गया था। यह मंदिर पूरी तरह से विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर में विष्णु के अधिकांश लाक्षणिक नक्काशी के पहलुओं को चित्रित किया गया है और यहां विशेष रूप से भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को एक साथ स्थापित किया गया है।

temple

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4. तुंगनाथ मंदिर, उत्तराखंड

तुंगनाथ मंदिर सभी पंच केदार मध्यमाश्वर, केदारनाथ, रुद्रनाथ और कल्पेश्वर में से सबसे अधिक ऊंचाई (समुद्र तल से 3680 मीटर) पर स्थित है। यह मंदिर रामायण से भी जुड़ा है, जहां भगवान राम ने रावण का वध करने के बाद ब्रह्महत्या के अभिशाप से बचने के लिए तपस्या की थी। यह इतना मंदिर छोटा है कि यहां एक बार में केवल 10 लोगों को ही प्रवेश की अनुमति है।

Tugnath Temple

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5. आदि कुंभेश्वर, तमिलनाडु

भारत में स्थित कुंभकोणम को मंदिरों का नगर कहा जाता है। यहीं पर आदि कुंभेश्वर मंदिर स्थित है। यह मंदिर विजयनगर काल का है। आदि कुंभेश्वर मंदिर के प्रमुख देवता हैं और उनका पवित्र स्थान मंदिर के केंद्र में है। कुम्भेश्वर लिंगम (शिवलिंग) के रूप में हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि भगवान शिव ने स्वयं अमृत को रेत में मिलाकर इसे बनाया था।

kumbakonam

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6. जगत पिता ब्रह्मा मंदिर, राजस्थान

इस मंदिर की संरचना 14 वीं शताब्दी की है, लेकिन यह मंदिर 2000 वर्ष पुराना बताया जाता है। मंदिर मुख्य रूप से संगमरमर और पत्थर के स्लैब से बना है। इसका शिखर लाल रंग का है और इसके शिखर पर एक पक्षी की आकृति भी मौजूद है। मंदिर के बीचो-बीच ब्रह्मा और उनकी दूसरी पत्नी गायत्री की मूर्तियां हैं। यहां कार्तिक पूर्णिमा के समय ब्रह्मा जी को समर्पित एक त्योहार का आयोजन होता है।

Jagatpita Brahma Mandir

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7. वरदराजा पेरुमल मंदिर, तमिलनाडु

वरदराजा पेरुमल मंदिर एक हिंदू मंदिर है, जो भगवान विष्णु के पवित्र शहर कांचीपुरम में स्थित है। माना जाता है कि विष्णु के 108 मंदिरों का 12 कवि संतों या अलवारों ने भ्रमण किया था, जिनमें से यह भी एक दिव्य देशम है। यह भी माना जाता है कि मंदिर की छत को सुशोभित छिपकलियों की मूर्तियों के स्पर्श मात्र से ही आपके पिछले जीवन के सारे पाप धुल जाते हैं।

Varadharaja Perumal Temple

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8. कोणार्क सूर्य मंदिर, ओडिशा

इस मंदिर को 1250 ईस्वी के आस-पास पूर्वी गंग राजवंश के राजा नरसिम्ह देव प्रथम द्वारा बनवाया गया था। यह मंदिर, पत्थर के पहियों, स्तंभों और दीवारों के साथ एक विशाल रथ के आकार में है। इसकी संरचना का एक बड़ा हिस्सा अब खंडहर के रूप में है। यह मंदिर यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों में भी शामिल है।

konark sun temple

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9. राजस्थान के माउंट आबू के पास दिलवाड़ा मंदिर

ये मंदिर माउंट आबू से लगभग 2.5 किमी दूर स्थित है और इन पांचों मंदिरों में से हर एक मंदिर अपने आप में अद्वितीय है। इनका निर्माण 11 वीं और 13 वीं शताब्दी (ईस्वी) के बीच हुआ था। ये मंदिर संगमरमर के अद्भुत उपयोग के लिए प्रसिद्ध हैं। ये पांच मंदिर (विमल वसाही, लूना वसाही, पित्तल हर मंदिर, पार्श्वनाथ मंदिर और महावीर स्वामी मंदिर) दुनिया के सबसे सुंदर जैन तीर्थ स्थल माने जाते हैं।

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10. पंचरत्न मंदिर, बांकुरा, पश्चिम बंगाल

यह मंदिर राजा रघुनाथ सिंह द्वारा 1643 में बनवाया गया था। यह मंदिर एक छोटे से वर्गाकार चबूतरे पर बना हुआ है। मंदिर के चारों तरफ तीन मेहराबों वाले द्वार के साथ चारों तरफ घूमने के लिए एक बरामदा है। दीवारों को बड़े पैमाने पर टेराकोटा की नक्काशी से भगवान कृष्ण की लीलाओं का चित्रण किया गया है।

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11. बादामी गुफा मंदिर, कर्नाटक

बादामी गुफा मंदिर, कर्नाटक के उत्तरी भाग में बगलकोट जिले के बादामी शहर में स्थित मंदिरों का एक परिसर है। इन्हें भारतीय रॉक-कट वास्तुकला, खासकर बादामी चालुक्य वास्तुकला का उदाहरण माना जाता है।

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12. विट्ठल मंदिर, हम्पी, कर्नाटक

शायद यह मंदिर हम्पी परिसर के सभी मंदिरों में से सबसे अधिक लोकप्रिय है। यहां मशहूर म्युज़िकल पिलर्स हैं जिनमें से अद्भुत ध्वनि निकलती है। अंग्रेज इस ध्वनि का रहस्य जानना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने दो खंभे कटवा दिए, लेकिन उन्हें वहां खोखले खंभों के अलावा कुछ नहीं मिला। मंदिर की ओर जाने वाली सड़क पर कभी एक बाजार हुआ करता था, जहां घोड़ों का व्यापार किया जाता था।

आज भी हम सड़क के दोनों ओर बाजार के अवशेष देख सकते हैं। मंदिर में घोड़े बेचने वाले फारसियों की मूर्तियां अभी भी मौजूद हैं।

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13. ओरछा मंदिर, मध्य प्रदेश

ओरछा एक और प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है जो प्रसिद्ध खजुराहो मंदिर के पास स्थित है। शहर में चतुर्भुज मंदिर, लक्ष्मी मंदिर और राम राजा मंदिर है। ऊंचाई पर बने चतुर्भुज मंदिर का ऊंचा शिखर लोगों के आकर्षण का केन्द्र है। इसका बाहरी हिस्सा कमल के प्रतीकों से सजा हुआ है। राजा राम मंदिर, महल की तरह बना हुआ है। यहां राम की पूजा राजा के रूप में की जाती है।

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लक्ष्मी मंदिर, मंदिर और किले का एक अनूठा मिश्रण है। इस त्रिकोणीय मंदिर के अंदर एक अष्टकोणीय केंद्रीय टॉवर है। इसके अनोखेपन के कारण ही इसका प्रवेश द्वार बीच के बजाय एक कोने में स्थापित किया गया है।

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