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कैदी की मौत मामले में जेल-पुलिस अधिकारियों को झटका

भोपाल जेल में विचाराधीन बंदी मोहसिन खान की संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी। इस मामले में तत्कालीन जेलर, टीआई, डॉक्टर और क्राइम ब्रांच के 5 कॉन्स्टेबल पर एफआईआर के आदेश के बाद रिवीजन पिटिशन फाइल की गई थी। सोमवार को रिवीजन पिटिशन पर सुनवाई करते हुए अपर सत्र न्यायाधीश प्रीति साल्वे की कोर्ट ने सभी आरोपियों को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने सभी आरोपी पुलिस अधिकारियों की रिवीजन याचिका को निरस्त कर दिया है।

मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इन आरोपियों के विरुद्ध दर्ज धारा 302, 120-बी, 201 के अपराध की पुष्टि कर दी है। मामला 23 जून 2015 का है। ग्वालियर के जेएएच अस्पताल में इलाज के दौरान बंदी मोहसिन खान (24) की मौत हो गई थी। मोहसिन भोपाल का रहने वाला था। एडवोकेट यावर खान के मुताबिक मोहसिन की मां ने 2015 में कोर्ट में प्राइवेट कंप्लेंट फाइल की थी। न्यायाधीश वीरेंद्र यादव ने इस मामले की जांच की थी।

इसके बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी मनीष मिश्रा की कोर्ट ने हत्या और आपराधिक षड्यंत्र रचने को केस दर्ज करने का आदेश दिया था। आदेश पिछले साल अगस्त महीने में दिया गया था। जिसके बाद आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किए गए थे। इस आदेश के खिलाफ आरोपी पुलिसकर्मियों ने रिवीजन पिटिशन फाइल की थी।

मृतक के परिजनों के यह थे आरोप

  • 3 जून 2015 को क्राइम ब्रांच भोपाल के सिपाही मुरली, दिनेश खजूरिया और चिरोंजी पूछताछ के लिए मोहसिन को घर से ले गए थे। जब वे मोहसिन को छुड़वाने के लिए क्राइम ब्रांच थाने पहुंचे तो उनसे दो लाख रुपए की रिश्वत मांगी गई।
  • मांग पूरी नहीं करने पर क्राइम ब्रांच के बाद पुलिस ने मोहसिन पर टीटी नगर थाने में लूट का झूठा अपराध कायम कर उसे अदालत में पेश कर जेल भिजवा दिया। इससे पहले क्राइम ब्रांच और टीटी नगर थाने में उसके साथ मारपीट की गई थी।
  • उसके प्राइवेट पार्ट में करंट लगाया था। इस बात की पुष्टि मेडिकल रिपोर्ट में हुई थी। जेल में भी जेलर पर मोहसिन से मारपीट किए जाने के आरोप परिजन ने लगाए थे।

कोर्ट ने कहा था- कस्टडी में मौत समाज पर गहरा धब्बा

मृतक की मां सीमा खान की ओर से एडवोकेट यावर खान ने पैरवी की थी। इस मामले में पहले 3 बार न्यायिक मजिस्ट्रेट ने हत्या और साक्ष्य मिटाने का मामला दर्ज किया था। तीन बार सेशन कोर्ट ने वापस लोअर कोर्ट में पुनः जांच कर आदेश करने के लिए भेजा था। चौथी बार फिर मजिस्ट्रेट कोर्ट ने पुलिस अधिकारी, जेलर सहित हमीदिया अस्पताल के तत्कालीन मेडिकल ऑफिसर के विरुद्ध हत्या और साक्ष्य मिटाने का अपराध दर्ज कर समन जारी किए। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ज्यूडिशियल कस्टडी में मारपीट से हुई मौत समाज में गहरा धब्बा होता है।

3 आरक्षकों ने किया गिरफ्तार

क्राइम ब्रांच में बतौर आरक्षक पदस्थ रहे मुरली, चिरोंजीलाल और दिनेश खजूरिया लूट के एक मामले में मोहसिन खान को उसके घर से गिरफ्तार करके लाए थे। तीनों आरक्षकों ने क्राइम ब्रांच थाने में मोहसिन खान से लूट के मामले में पूछताछ की थी। टीटी नगर थाने में बतौर टीआई पदस्थ रहने के दौरान मनीष राज सिंह भदौरिया ने लूट के एक मामले में मोहसिन को फर्जी तरीके से आरोपी बनाया। साथ ही घायल हालत में थाने में पहुंचे मोहसिन के साथ मारपीट की।

मनोरोगी बताकर ग्वालियर रेफर किया

हमीदिया अस्पताल के मनोरोग विभाग में पदस्थ रहे एक डॉक्टर पर आरोप है कि उन्होंने केंद्रीय जेल भोपाल में बंद कैदी मोहसिन खान को मनोरोगी घोषित किया। जबकि वह स्वस्थ था। इसके अलावा मनोरोगी बताकर ट्रीटमेंट के लिए घायल हालत में ग्वालियर स्थित जयारोग्य हॉस्पिटल रेफर किया।

ज्यूडिशियल कस्टडी में मारपीट

केंद्रीय जेल भोपाल के तत्कालीन जेलर आलोक वाजपेयी पर आरोप है कि लूट के मामले में कोर्ट द्वारा ज्यूडिशियल कस्टडी में भेजे गए मोहसिन खान को इलाज मुहैया नहीं कराया। उसे जेल में पिटवाया। जेल में दाखिले के वक्त के सीसीटीवी फुटेज कोर्ट को मुहैया नहीं कराए।

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