मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार को समत्व भवन में नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण की 267वीं बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा, अपर मुख्य सचिव वित्त मनीष रस्तोगी, नर्मदा घाटी विकास विभाग और प्राधिकरण के अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि नर्मदा नदी से जुड़ी परियोजनाओं में सिंचाई के साथ-साथ सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने कहा कि जल उद्वहन में सौर ऊर्जा के उपयोग से बिजली खर्च कम होगा, जिससे सरकार और किसानों दोनों को लाभ मिलेगा।
किसानों को भी सौर ऊर्जा से सिंचाई के लिए प्रेरित किया जाए। उन्होंने कहा कि मां नर्मदा के जल का अधिकतम उपयोग प्रदेश हित में होना चाहिए, क्योंकि यह नदी मध्यप्रदेश की जीवनदायिनी है।
कई नई सिंचाई परियोजनाओं को मिली मंजूरी
- शहीद ईलाप सिंह माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना (जिला हरदा)
- सेंधवा और निवाली माइक्रो उद्वहन परियोजनाएं (जिला बड़वानी)
- धार उद्वहन माइक्रो सिंचाई परियोजना
- मां रेवा उद्वहन सिंचाई परियोजना (जिला देवास)
इन परियोजनाओं के जरिए खेती योग्य जमीनों तक पानी पहुंचाने की योजना है।
निर्माणाधीन और प्रस्तावित परियोजनाओं पर हुई चर्चा
बैठक में निर्माणाधीन स्लीमनाबाद टनल के तकनीकी पहलुओं पर भी चर्चा की गई। इसके अलावा निम्न परियोजनाओं पर भी विचार किया गया।
- डोबी सिंचाई परियोजना
- भीकनगांव-बिजलवाड़ा माइक्रो सिंचाई परियोजना
- आईएसपी-पार्वती लिंक परियोजना
- खालवा उद्वहन माइक्रो सिंचाई परियोजना (जिला खंडवा)
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि मोरंड-गंजाल बांध और दाब युक्त सिंचाई परियोजना के निर्माण कार्यों को आईएसपी जलाशय और अपर नर्मदा परियोजना के कमांड क्षेत्र में शुरू किया जाए।
साथ ही नई योजनाओं की प्रशासकीय स्वीकृति पर भी विचार किया गया।
- विजयराघवगढ़ उद्वहन माइक्रो सिंचाई परियोजना
- गुनौर माइक्रो सिंचाई परियोजना
- झिरन्या एक्सटेंशन माइक्रो सिंचाई परियोजना
- बड़ादेव-चरगंवा सूक्ष्म उद्वहन सिंचाई परियोजना
- खेड़ी बुजुर्ग उद्वहन माइक्रो सिंचाई परियोजना (जिला धार) मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि नर्मदा नदी के धार्मिक और सामाजिक महत्व वाले स्थलों पर घाट निर्माण के लिए कार्ययोजना बनाई जाए, ताकि इन स्थलों का समुचित विकास हो सके।