मध्य प्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर ने एक नाबालिग से रेप के मामले में आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाने वाली भोपाल की विशेष अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए बड़ा निर्देश दिया है। कोर्ट ने प्रथम दृष्टया माना कि भोपाल के जिला मेडिकल बोर्ड और जेपी अस्पताल द्वारा दी गई रिपोर्ट दबाव में आकर तैयार की गई है।
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने इस रिपोर्ट को “असंतोषजनक और अपूर्ण” बताते हुए कहा कि ऐसे संवेदनशील मामलों में मेडिकल जांच केवल शारीरिक परीक्षण के आधार पर नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव को निर्देश दिए हैं कि वे 15 दिनों के भीतर इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करें। मामले पर अगली सुनवाई 15 जुलाई को होगी।
देवास निवासी राकेश नायक को भोपाल की विशेष अदालत ने 22 नवंबर 2022 को नाबालिग से रेप के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। आरोपी की ओर से अधिवक्ता मंजू खत्री ने दलील दी कि पीड़िता की उम्र और मेडिकल रिपोर्ट में कई गंभीर अनियमितताएं हैं, जिन्हें नजरअंदाज कर सजा सुनाई गई।
मेडिकल रिपोर्ट पर उठे सवाल
याचिका में कहा गया कि मेडिकल परीक्षण तीन डॉक्टरों की टीम ने किया था, लेकिन रिपोर्ट पर केवल डॉ. आर.के. सोनी की मुहर है। जबकि रेडियोलॉजिस्ट और डेंटिस्ट की राय का कोई उल्लेख नहीं किया गया है। कोर्ट को बताया गया कि पीड़िता की उम्र का निर्धारण भी सिर्फ शारीरिक बनावट और हाव-भाव के आधार पर किया गया, जबकि वैज्ञानिक और कानूनी दृष्टिकोण से यह प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण है।
दबाव में दी गई रिपोर्ट, जांच जरूरी
हाईकोर्ट की डबल बेंच में शामिल जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस अवनींद्र कुमार सिंह ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि यह रिपोर्ट प्रथम दृष्टया किसी दबाव में तैयार की गई प्रतीत होती है, और इसकी निष्पक्ष जांच आवश्यक है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे गंभीर अपराधों में प्रमाणिकता सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए, न कि अनुमान या अपूर्ण परीक्षण।