मध्यप्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल हमीदिया में माइक्रो सर्जरी की सुविधाओं का विस्तार किया गया है। इसी कड़ी में विभाग के डॉक्टरों ने जून के माह में दो बेहद जटिल सर्जरियों को पूरा किया। जिसके जरिए एक बच्चे का हाथ और एक बच्चे का पैर कटने से बच सका।
तलवार से हमले में कट गई कंधे की बड़ी नस हमीदिया अस्पताल में 16 साल एक युवक के हाथ को बचाने के लिए बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने जटिल माइक्रो सर्जरी की गई। युवक पर धारदार हथियार (तलवार) से हमला हुआ था। जिससे उसकी लेफ्ट कंधे की एक मुख्य खून की नस (मुख्य धमनी) कट गई थी। लगातार रक्तस्राव और थक्का बनने के कारण हाथ में रक्त का बहाव बाधित हो रहा था। यदि समय पर इलाज न मिलता, तो युवक की जान को खतरा हो सकता था और हाथ में रक्त संचार रुकने से वह काला पड़कर काटना पड़ सकता था।

डॉक्टरों ने माइक्रो सर्जरी के जरिए मरीज की कटी हुई नस और उसकी शाखा को एक अन्य मुख्य नस से जोड़ दिया। इससे न केवल खून बहना रुका, बल्कि हाथ में रक्त संचार भी दोबारा चालू हो गया। मरीज को तीन दिनों तक आईसीयू में रखा गया। अब उसके हाथ की स्थिति में सुधार है। रविवार को सात दिन बाद मरीज अब अपना हाथ चला पा रहा है।
क्रश इंजरी से ग्रसित बच्चे का पैर कटने से बचाया सीहोर के रहने वाले एक बच्चा दुर्घटना का शिकार हुआ था, जिसमें उसकी हड्डी फ्रैक्चर हो गई थी और मांस बुरी तरह कुचल गया था। पैर की हड्डी और मांस में संक्रमण फैलने के कारण स्थानीय निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने पैर काटने की सलाह दी थी। परिजन बच्चे को लेकर बेहतर इलाज की तलाश में भोपाल आए। यहां, हमीदिया अस्पताल में बच्चे का पैर कटने से बचाया गया।
बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने बच्चे की दाईं जांघ से नस सहित चमड़ी और मांस का टुकड़ा निकालकर उसे दाएं पैर में लगाया गया। खून की नस भी माइक्रो सर्जरी से जोड़ी गईं। जिससे जख्म को भरा जा सका। विभाग के डॉ. आनंद गौतम ने बताया कि इस तरह की पैर की क्रश इंजरी में पैर बचाने के लिए वीएसी थेरेपी (VAC therapy), डीब्राइडमेंट (debridement) के बाद माइक्रो सर्जरी ही एकमात्र प्रभावी विकल्प बचता है। बच्चे के घाव अब लगभग भर चुके हैं और वह वॉकर की मदद से चलना शुरू कर चुका है।
माइक्रो सर्जरी एक जटिल प्रकिया प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डॉ. हरिशंकर ने बताया कि विभाग में माइक्रो वेस्कुलर सर्जरी की सुविधा कई सालों से मौजूद है। अब इस विधि में विस्तार किया गया। इससे जुड़े आधुनिक उपकरण डिपार्टमेंट में आए हैं। जिससे मरीजों के हाथ और पैर माइक्रो सर्जरी से सफलतापूर्वक बचाए गए। डॉ गौतम का कहना है कि माइक्रो सर्जरी के ऑपरेशन अत्यंत जटिल होते हैं। यह आम सर्जरी से ज्यादा लंबे भी चलते हैं।
प्रशिक्षण पर रहता है जोर बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ. अरुण भटनागर ने कहा कि हर साल जूनियर्स डॉक्टर्स की ट्रेनिंग के लिए हैंड्स ऑन माइक्रो वेस्कुलर सर्जरी वर्कशॉप का भी आयोजन किया जा रहा है। बीते साल इसमें 30 डॉक्टरों को इस मॉडर्न तकनीक का प्रशिक्षण दिया गया। जिससे भविष्य में अधिक से अधिक प्लास्टिक सर्जन मरीजों को उनके घर के पास ही यह सुविधा मुहैया करा सकें।