इंदौर की जिला अदालत ने मंगलवार एक बुजुर्ग महिला को राहत देते हुए करोड़ों की दुकान पर झूठा कब्जा जताने वाले व्यापारी का केस खारिज कर दिया है।
राजवाड़ा इलाके की इस दुकान की मालिक 70 साल की आयशा बी हैं। एक व्यापारी ने अक्टूबर 2020 में कोर्ट में दावा किया था कि वह इस दुकान का किरायेदार है। व्यापारी ने कहा था कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत दुकान का हिस्सा तोड़ा गया था, लेकिन उसने अपनी मेहनत और खर्च से दुकान की मरम्मत कर दोबारा काम शुरू किया। उसने आरोप लगाया कि अब मकान मालकिन जबरन उसे निकाल रही हैं।

महिला ने कोर्ट में दी ये दलीलें
- दुकान पहले ही तोड़ी जा चुकी थी और व्यापारी ने खुद ही दुकान खाली कर दी थी।
- अब वह दोबारा झूठा दावा कर रहा है कि वह अभी भी किरायेदार है।
- व्यापारी ने झूठी फोटो और एक किराए की चिट्ठी की फोटो कॉपी कोर्ट में दी, जिसमें नीली स्याही से हस्ताक्षर थे।
कोर्ट ने कही ये बात
- दुकान अब असल में मौजूद ही नहीं है।
- किरायेदारी को लेकर कोई नया समझौता या कागज पेश नहीं किया गया।
- फोटो कॉपी पर नीली स्याही के हस्ताक्षर हैं, जबकि फोटो कॉपी में ऐसा नहीं होता।
- फोटोज भी बिना तारीख और सबूत के थे और नियमों के अनुसार सही तरीके से पेश नहीं किए गए।
जज ऐका सोनी ने सबूतों को देखते हुए व्यापारी का केस खारिज कर दिया और आदेश दिया कि बुजुर्ग महिला का केस लड़ने का खर्च भी व्यापारी को ही देना होगा।
महिला के वकील कृष्ण कुमार कुन्हारे ने बताया यह फैसला साफ करता है कि झूठे दस्तावेजों और बिना सबूत के किए गए दावे कोर्ट में नहीं टिकते।